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कोलकाता : बुद्धिजीवियों पर विहिप ने साधा निशाना

कोलकाता : विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय बजरंग दल ने देश के पर्यावरण प्रेमी, पशु प्रेमी, समाजसेवी संगठन और देश के बुद्धजीवी समाज की खामोशी पर तंज कसते हुए कहा कि आज वो लोग अपने दड़बे में क्यों छुपे हैं. देश और समाज की भलाई की दुहाई देते हुए होली, दिवाली और दुर्गापूजा के समय […]

कोलकाता : विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय बजरंग दल ने देश के पर्यावरण प्रेमी, पशु प्रेमी, समाजसेवी संगठन और देश के बुद्धजीवी समाज की खामोशी पर तंज कसते हुए कहा कि आज वो लोग अपने दड़बे में क्यों छुपे हैं. देश और समाज की भलाई की दुहाई देते हुए होली, दिवाली और दुर्गापूजा के समय तरह-तरह से सलाह और हिदायत देते थे, अब वह लोग बकरीद के मौके पर खामोश क्यों हैं.
विश्व हिंदू परिषद के कोलकाता मीडिया को-आर्डिनेटर सौरिष मुखर्जी के मुताबिक, तकरीबन चार हजार साल से इस्लाम धर्म के अनुयायी कुर्बानी देते आ रहे हैं. कुर्बानी का मतलब अपने प्रिय वस्तु की कुर्बानी होता है. अल्ला के आदेश पर हजरत इब्राहिम अपने बेटे की कुर्बानी देने जा रहे थे. उसी वक्त दुम्मा आ गया, तब से जानवरों की कुर्बानी इस्लाम धर्म के अनुयायी देते हैं. यह उनके धार्मिक कर्मकांड का अंग है.
हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है कि वह अपने मजहब का पालन कैसे करते हैं. सवाल उठता है कि तमिलनाडु में सदियों से चली आ रही जलीकट्टू (सांड़ की लड़ाई) का पर्व मनानेवाले हिंदू धर्म के लोगों के धार्मिक कर्मकांड का विरोध करते हुए पिपल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल ( पेटा) ने जानवरों के साथ बर्बरता की दुहाई देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया और उसको पूरी तरह से प्रतिबंधित करने की मांग की. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या बकरीद में विभिन्न पशुओं के साथ बर्बरता नहीं होती है. अगर होती है तो यह तथाकथित पशु प्रेमी खामोश क्यों हैं?
राष्ट्रीय बजरंग दल के बंगाल प्रांत के अध्यक्ष संदीप चौधुरी ने कहा कि हिंदू समाज का मुख्य उत्सव होली है. उस वक्त तथाकथित समाजसेवी पानी के दुरुपयोग को लेकर सवाल उठाते हैं. काली पूजा के समय पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर कथित पर्यावरण प्रेमी पर्यावरण की दुहाई देते हैं.
वह लोग सबे बरात के समय खामोश रहते हैं. जो बुद्धजीवी बड़ी-बड़ी बात करते हुए समाज में समरसता की बात करते हैं, वह लोग हिंदुओं की भावना से जुड़े गौ माता की कुर्बानी पर चुप क्यों हैं. क्या कुर्बानी के बाद रक्त को धोने और मांस को साफ करने में पानी जाया नहीं होता. इस तरह का सवाल उठाते हुए कहा कि किसी की भावना आहत नहीं हो इसके लिए वह लोग जागरूकता अभियान चलायेंगे.

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