कोलकाता : राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार ने पिछले छह वर्षों में 13 जांच आयोगों में करीब 32.53 करोड़ रुपये खर्च कर डाले हैं. पूर्व जजों के नेतृत्व में संचालित इन 13 जांच आयोगों में से केवल तीन आयोगों ने ही अभी तक विधानसभा में अपनी जांच रिपोर्ट पेश की है. इन तीन रिपोर्ट में से दो वाममोर्चा के शासनकाल के दौरान हुई लो-प्रोफाइल घटनाओं पर थीं. एक रिपोर्ट वर्ष 2008 में ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर की सुसाइड और दूसरी 2011 में माकपा विधायक की सुसाइड पर थी. तीसरी रिपोर्ट ममता बनर्जी के शासनकाल में ही निजी अस्पताल में लगी आग के संबंध में थी.
1971 में जिस वक्त बंगाल में राष्ट्रपति शासन था उस वक्त काशीपुर बरानगर नरसंहार हुआ था. इस नरसंहार में बहुत से नक्सली कार्यकर्ताओं को मारा गया था, इस मामले में कई कांग्रेस के नेता और पुलिसकर्मियों पर आरोप लगा था. इस मामले में जांच आयोग का बनाया गया, जिस पर ममता सरकार द्वारा 2014-17 के बीच 2.58 करोड़ रुपए खर्च कर दिये गये. जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट 2017 में फाइल कर दी, लेकिन इसे विधानसभा में अभी तक पेश नहीं किया गया है.
ममता बनर्जी ने 2017 में सार्वजिनक तौर पर कहा था कि सुझावों को मान लिया गया है, लेकिन अभी तक रिपोर्ट को सदन में नहीं पेश किया गया है. पांचवां केस 1993 में मेदिनीपुर में हुई उस घटना को लेकर है, जिसमें 23 आदिवासियों पर से एक ट्रक गुजर गया था. इसकी रिपोर्ट भी जांच आयोग ने 2018 में सौंप दी है, लेकिन इसे भी अभी तक सदन में पेश नहीं किया गया है.