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सर्वदलीय बैठक में बोले विनय तमांग – गोरखालैंड के लिए हिंसक आंदोलन के पक्ष में नहीं

कोलकाता : दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र में पृथक राज्य के लिए आंदोलन में हिंसा पर खेद प्रकट करते हुए गोरखा नेता विनय तमांग ने सोमवार को कहा कि लोगों को लोकतांत्रिक ढंग से गोरखालैंड के लिए आंदोलन शुरू करना चाहिए. दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र के लिए प्रशासक बोर्ड के अध्यक्ष यहां दार्जीलिंग में मौजूदा गतिरोध पर आज […]

कोलकाता : दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र में पृथक राज्य के लिए आंदोलन में हिंसा पर खेद प्रकट करते हुए गोरखा नेता विनय तमांग ने सोमवार को कहा कि लोगों को लोकतांत्रिक ढंग से गोरखालैंड के लिए आंदोलन शुरू करना चाहिए. दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र के लिए प्रशासक बोर्ड के अध्यक्ष यहां दार्जीलिंग में मौजूदा गतिरोध पर आज राज्य सरकार द्वारा बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में भाग लेने आये हुए थे.

तमांग ने कहा, हिंसक आंदोलन द्वारा गोरखालैंड को हासिल नहीं किया जा सकता है. हमे गांधीवादी विचारधारा का पालन करना चाहिए और शांतिपूर्ण तथा लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन करना चाहिए. गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के निष्कासित नेता ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र के लोगों का लोकतांत्रिक आंदोलनों पर भरोसा है.

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इससे पूर्व उन्होंने घोषणा की थी कि पर्वतीय क्षेत्र में गोरखालैंड के लिए और बंद नहीं होंगे. पृथक गोरखालैंड राज्य की अपनी मांग को लेकर जीजेएम के अनिश्चितकालीन बंद के आह्वान के बाद दार्जीलिंग में लम्बे समय तक गतिरोध बना रहा. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अपील के बाद बंद को 27 सितम्बर को 104 दिनों के बाद वापस लिया गया था.

बम विस्फोटों में कथित संलिप्तता के मामले दर्ज किये जाने के बाद से बिमल गुरुंग भूमिगत हैं, जिसके बाद विनय तमांग पर्वतीय क्षेत्र मुख्य नेता के रूप में उभरे हैं. वह पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा आयोजित सर्वदलीय बैठक के पिछले कई दौर में पार्टी का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. तमांग ने कल राज्य के राज्यपाल के एन त्रिपाठी से मुलाकात की थी और उनसे दार्जीलिंग गतिरोध के समाधान के लिए त्रिपक्षीय वार्ता शुरू करने के लिए केंद्र से बात करने का अनुरोध किया था.

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उन्होंने कहा, हमने उनसे कहा कि हम दार्जीलिंग मुद्दे पर केंद्र से बात करने के इच्छुक हैं. केंद्र को जल्द से जल्द हस्तक्षेप करना चाहिए और हमें गोरखालैंड समेत सभी लंबित मुद्दों पर वार्ता के लिए बुलाना चाहिए. तमांग ने दार्जीलिंग को रणनीतिक स्थान बताया क्योंकि यह नेपाल और भूटान की सीमाओं के साथ लगता क्षेत्र है.

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