किसी भी जाति, धर्म, क्षेत्र में जन्म लेना हमारा चयन नहीं, महज संयोग है, वैसे ही है भाषा विशेष के परिवार में जन्म लेने का मामला भी विश्व की सारी भाषाएं आपस में बहनें हैं, पर भारतीय भाषाओं का आपसी रिश्ता है सगी बहनों का आसनसोल. गर्ल्स कॉलेज आसनसोल में हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ कृष्ण कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि वैसे तो विश्व की सभी भाषाएं आपस में बहनें हैं लेकिन भारतीय भाषाओं का आपसी रिश्ता सगी बहनों का है. जैसे हिंदी हमारी मां है, तो बांग्ला मांसी मा(मौसी) है या, बांग्ला जिनकी मां है, तो हिंदी उनकी मासी मा होती है. जिस तरह किसी जाति, धर्म, क्षेत्र में जन्म लेना हमारा चुनाव नहीं महज एक संयोग है, वैसे ही भाषा विशेष के परिवार में जन्म लेने का चयन हमारा नहीं है, इसलिए धर्म व जाति की तरह ही हमें अपनी भाषा पर भी अतिरिक्त गर्व या ग्लानिबोध के कोई मायने नहीं होते. ये बातें डॉ श्रीवास्तव ने हिंदी पखवाड़ा के तहत गर्ल्स कॉलेज में शुक्रवार को ””””भारतीय भाषाओं का बहनापा और हिंदी”””” विषय का प्रवर्तन करते हुए कहीं. इस विषय पर शिवपुर दीनबंधु कॉलेज हावड़ा के हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ सत्यप्रकाश तिवारी का एकल व्याख्यान कार्यक्रम था. कई भाषाओं के जानकारी डाॅ सत्य प्रकाश तिवारी ने भारतीय भाषाओं के बहनापे पर सविस्तार प्रकाश डाला. विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से सिद्ध करने की कोशिश कि आज भी पूरे देश को एकसूत्र में पिरोने में हिंदी ही समर्थ है, इसलिए हिंदी भाषियों को अन्य भारतीय भाषाओं के साथ स्नेहपूर्ण संबंध रखना चाहिए. व्याख्यान के बाद डाॅ तिवारी ने किया छात्राओं की शंकाओं का निवारण एकल व्याख्यान के पहले विभाग की छात्राएं माधुरी यादव, प्रिया कुमारी, सोनी कुमारी सिंह और अनीषा चौधरी ने ज्ञान रंजन की कहानी -पिता पर परिचर्चा की जिसे श्रोताओं द्वारा पर्याप्त सराहा गया. आयोजन का सफल संचालन हिंदी विभाग की छात्रा इशाना खान ने किया. आयोजन में अन्य विभागों के प्राध्यापकों के साथ ही शताधिक छात्राएं उपस्थित रहीं. इस व्याख्यान में स्वागत भाषण और वक्ता का परिचय हिंदी विभाग की प्राध्यापक पूजा पाठक ने और उद्घाटन भाषण बांग्ला विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर डाॅ शाश्वती मजूमदार ने दिया. आइक्यूएसी कोऑर्डिनेटर डाॅ बीरु रजक ने हिंदी विभाग की ओर से आयोजित इस एकल व्याख्यान को छात्राओं के लिए उपयोगी बताते हुए कहा कि भाषा के आधार पर वैमनस्य फैलाना कतई उचित नहीं है.
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