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खदान के हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे

पचामी में मरने वालों को मिलता है पांच लाख नलहाटी में मृतकों को महज दो लाख का मुआवजा

मुकेश तिवारी, बीरभूम

जिले के नलहाटी थाना क्षेत्र के बहादुरपुर स्थित अवैध पत्थर खदान में 12 सितंबर को हुए धंसान में छह श्रमिकों की मौत और तीन के घायल होने की घटना ने एक बार फिर प्रशासन की नाकामी को उजागर कर दिया है. जिले में वर्षों से अवैध खदानों का संचालन हो रहा है, पर हादसों का सिलसिला थमता नहीं है.

मुआवजे में भेदभाव और नाराजगी

इस बार नलहाटी हादसे में मारे गये छह श्रमिकों के परिवारों को मात्र दो-दो लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की गई है. जबकि इसी जिले के पचामी खदान हादसों में मृतकों को पांच लाख रुपये दिये गये थे. एक ही जिले में अलग-अलग मानदंड अपनाने से परिजनों में गहरी नाराजगी है.

लाल बाबू शेख के निधन से उनका पूरा परिवार बेसहारा हो गया है. पत्नी, तीन बच्चे और मां अब दिहाड़ी मजदूरी पर आश्रित हैं. इसी तरह अन्य मृतकों के परिजन भी कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं. माकपा ने प्रति मृतक परिवार दस-दस लाख रुपये मुआवजे की मांग की है.

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

हादसे के बाद कांग्रेस जिला अध्यक्ष मिल्टन रशीद ने अवैध खदानों की एनआइए जांच की मांग की. माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य डॉ रामचंद्र डोम ने आरोप लगाया कि शासक दल के संरक्षण के बिना अवैध खदानों का कारोबार संभव नहीं है. वहीं सत्तारूढ़ दल का कहना है कि इसमें उनका कोई हाथ नहीं, बल्कि असामाजिक तत्व ही इसे चला रहे हैं.

लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि खदानों के खिलाफ कुछ समय पर अभियान शुरू होता है और फिर राजनीतिक दबाव में ठंडे बस्ते में चला जाता है. यही कारण है कि मोहम्मद बाजार, देवानगंज, निश्चितपुर और हाटगाछा जैसे क्षेत्रों में नोटिस भेजे जाने और केस दर्ज होने के बावजूद खदानें बंद नहीं हो पायीं.

हादसा कैसे घटा

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, लगातार बारिश से मिट्टी गीली हो चुकी थी. इसी दौरान ड्रिलिंग के समय मिट्टी और पत्थर ऊपर से गिर पड़े और छह मजदूर दबकर मर गये. मृतकों में रथीन दफादार भी शामिल थे, जो वर्षों से विस्फोटक का काम करते थे.

मजदूरों का आक्रोश

स्थानीय मजदूरों का कहना है कि अगर प्रशासन ने पहले ही सख्ती बरती होती तो आज छह परिवार उजड़ने से बच जाते. श्रमिक संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर अब भी जिला प्रशासन और पुलिस ने सबक नहीं लिया, तो आने वाले दिनों में वे आंदोलन का रास्ता अपनायेंगे.

प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर सवाल

खदान मालिक संजीव घोष उर्फ भूलू को पुलिस ने गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया है, लेकिन यह गिरफ्तारी महज औपचारिक लगती है. जिले में उसके और भी खदान चल रहे हैं, जिन पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. पुलिस अधीक्षक अमनदीप का कहना है कि समय-समय पर अभियान चलाया जाता है, पर अवैध खदान कुछ ही दिनों में फिर से चालू हो जाते हैं. यह बयान खुद प्रशासन की कमजोरी को दर्शाता है. पिछले दो वर्षों में नलहाटी थाना क्षेत्र में ही 13 मजदूरों की जान अवैध खदानों में जा चुकी है. कई मामलों में शव तक गायब कर दिये गये या परिवारों को दबाव डालकर चुप करा दिया गया. बावजूद इसके पुलिस और प्रशासन ने इस काले कारोबार को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाये. स्थानीय लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर प्रशासन किसके इशारे पर चुप है.

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