रानीगंज.
शुक्रवार को रानीगंज में सीटू का 55वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया. डॉल्फिन मैदान से एक रैली निकाली गयी, जो रानीगंज बाजार से होते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के पास जाकर संपन्न हुई. रैली में संगठन के वरिष्ठ नेता रानीगंज के पूर्व विधायक रुनू दत्ता, सुप्रियो राय, दिव्येंदु मुखर्जी, हेमंत प्रभाकर व कल्लोल घोष के साथ सैकडों कैडर शामिल हुए. रैली में मजदूरों के अधिकारों के समर्थन में जोरदार नारे लगाये गये. जो श्रमिक वर्ग की एकजुटता व संघर्ष का प्रतीक था. नेताओं ने केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों को श्रम विरोधी बताया और जम कर निंदा की. स्पष्ट किया कि सीटू मजदूरों के हक व अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करता रहेगा. श्रमिक नेता दिव्येंदु मुखर्जी ने सीटू के इतिहास पर प्रकाश डाला. बताया कि वामपंथी श्रमिक संगठन सीटू का जन्म 1970 में हुआ था और तब से लेकर अब तक यह संगठन श्रमिकों के हितों के लिए लगातार लड़ता आया है. मुखर्जी ने जानकारी दी कि पहले 20 जून को पूरे देश में हड़ताल का आह्वान किया गया था, लेकिन “विशेष परिस्थिति ” को देखते हुए अब यह हड़ताल नौ जुलाई को की जायेगी.उन्होंने केंद्र सरकार से लागू चार श्रम संहिता की कड़ी निंदा की और कहा कि ये कोड श्रमिकों को उनके अधिकारों से वंचित करेंगे. मुखर्जी ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि अभी जबकि ये श्रम कोड लागू नहीं हैं, तब भी मंगलपुर में श्रमिकों से 12 घंटे काम लिया जा रहा है, लेकिन उन्हें अतिरिक्त मजदूरी नहीं मिल रही है.
नौ जुलाई की हड़ताल 17 सूत्री मांगों के समर्थन में की जा रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य श्रमिक, खेत मजदूर सहित सभी मेहनतकश लोगों को उनका अधिकार दिलवाना है. उन्होंने मालिक पक्ष पर श्रमिकों के हितों के साथ खिलवाड़ करने और महंगाई के चरम पर होने के बावजूद उनका वेतन न बढ़ाने का आरोप लगाया.सीटू ने श्रमिकों के लिए न्यूनतम 26,000 वेतन की मांग की है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इन महत्वपूर्ण मांगों के समर्थन में ही 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है