प्रेम भूषण महाराज अभिभूत हुए श्रद्धालुओं का भरपूर प्यार पाकर
दुर्गापुर में आगमन की व्यवस्था की कृपामूर्ति हनुमान भक्त मंडल ने
दुर्गापुर. ट्रंक रोड मैदान में कृपामूर्ति हनुमान भक्त मंडल द्वारा आयोजित राम कथा के अंतिम दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उम्ड़ी. कथा का शुभारंभ आरती तथा भजन से हुयी. मौके पर अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (इस्ट) कुमार गौतम तथा एएसपी के महाप्रबंधक शिवसागर उपाध्याय उपस्थित थे.
कथा के अंतिम दिन प्रभु श्री राम को छप्पन भोग लगाया गया. कथा के प्रारंभ में महाराज प्रेम भूषण ने ‘पायो जी हमने, राम रतन धन पायो’ का गायन किया. उन्होंने कहा कि शुक्रवार को धनतेरस है. जिसको जितना इकठा करना है, राम नाम धन का संग्रह करना चाहिए. क्योंकि यह कभी खत्म नहीं होने वाला धन है. जो जितना इस धन का संग्रह करेगा, वह उतना ही धनवान होगा. उन्होंने कहा कि इसके अलावा जितने भी धन है, सभी नश्वर है.
वे स्थायी रूप से नहीं रह सकते. कभी इस व्यक्ति के पास तो कभी दूसरे व्यक्ति के पास चले जाते हैं. लेकिन राम नाम का धन स्थायी है. यह न तो नष्ट होता है और न इसकी चोरी हो सकती है. इस पर आयकर भी नहीं लगता. उन्होंने कहा कि असली व नकली धन के बीच मानव को हमेशा फर्क करना चाहिए. स्थायी धन अजर्न से भविष्य में शांति मिलती है.
नश्वर धन अशांति व परेशानी लेकर आता है. उन्होंने कहा कि राम नाम का जाप करने से आत्मा को बेहद शांति मिलती है. श्री राम का चरित्न चित्नण करते हुए महाराज श्री भूषण ने कहा कि सजा तो हर कोई दे सकता है, लेकिन क्षमा करना सबके बस की बात नहीं है. क्षमा जो करता है, वह सबसे महान है. जिस व्यक्ति का जैसा स्वभाव होता है, वह वैसा ही रहता है. बस अपने स्वभाव बदलना चाहिये.
किसी के कुछ कहने से पहले हमेशा सोचना चाहिए कि कोई ऐसी बात न कहें, जिससे किसी को क्लेश हो. उन्होंने कहा कि जीभ में होनेवाला घाव जल्दी भर जाता है, लेकिन जीभ से होनेवाला घाव कभी नहीं भरता.
उन्होंने कहा कि मनुष्य का स्वभाव उसके कर्मो के अनुरूप होता है. जो जैसा कर्म करेगा, उसका कर्म वैसा ही होता है. इसलिए अपने कर्म को सुधारना चाहिये. उन्होंने कहा कि विश्व कर्म प्रधान है.
ईश्वर ने सभी जीव-जंतुओं के लिए कर्म निश्चित किये हैं. लेकिन इसे सभी नहीं समझ पाते. अपनी सफलता को पाने के लिए अपना कर्म छोड़ कर शॉटकट में लग जाते हैं तथा बिना कर्म के ही सबकुछ हासिल करना चाहते हैं. यहीं से अशांति, अपराध व आतंक का जन्म होता है. उन्होंने कहा कि रामचरित्न मानस का प्रत्येक दोहा और श्लोक मन्त्न के सामान है. इसका निरंतर पाठ करने से सांसारिक दु:खो से मुक्ति मिलती है तथा प्रेम परमात्मा का स्वरु प है. संसार के सभी व्यक्ति तथा जंतु से प्रेम करना चाहिये. सनातन धर्म यही सिखाता है कि मन में दया तथा क्षमा होना चाहिये. उन्होंने श्रद्धालुओं का अभिनन्दन करते हुए कहा कि उनका जितना आकलन था, उससे कई सौ गुना प्यार उन्हें दुर्गापुर से मिला.
भक्त मंडल से जुड़े जितेंद्र पांडे ने बताया कि इस अनुष्ठान को सफल बनाने में लायंस क्लब ऑफ दुर्गापुर, भोजपुरी मंच (दुर्गापुर), डीएसपी आदि संस्थाओं ने सहयोग किया. विनोद कुमार राय, संजीव यादव, हरेराम ओझा, दीपक चौधरी, विजय कुंद्राई, राकेश भट्टर, संतोष गुप्ता, आत्मा शंकर पाण्डे आदि का सक्रिय सहयोग मिला. सफल बनाने में जितेंद्र पाण्डेय, रमेश पांडे, रविंद्र वर्मा, विभव कुमार पांडे, विजय कुंद्रा, संजीव पांडे, राजेश यादव, अंशु उपाध्याय, विकास पांडे, नीरज पांडे ने निर्णायक भूमिका थी. महिलाओ में सीमा पांडे, शिवानी उपाध्याय, सोनी पांडे,अंजना देवी आदि सक्रिय थी.