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एक सप्ताह से तालाबंदी, लौट रहे छात्र
सालानपुर प्रखंड के देंदुआ ग्राम पंचायत के एक दर्जन गावों में कोई अपर प्राइमरी स्कूल नहीं होने के कारण पांच किलोमीटर के दायरे के स्कूली बच्चे माध्यमिक शिक्षा केंद्र में शिक्षा ग्रहण करते हैं. पांचवीं से आठवीं कक्षा तक में 197 बच्चे हैं. इकलौती शिक्षिका मेडिकल लीव में हैं तथा स्कूल में ताला लगा है. […]
सालानपुर प्रखंड के देंदुआ ग्राम पंचायत के एक दर्जन गावों में कोई अपर प्राइमरी स्कूल नहीं होने के कारण पांच किलोमीटर के दायरे के स्कूली बच्चे माध्यमिक शिक्षा केंद्र में शिक्षा ग्रहण करते हैं. पांचवीं से आठवीं कक्षा तक में 197 बच्चे हैं. इकलौती शिक्षिका मेडिकल लीव में हैं तथा स्कूल में ताला लगा है. शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों को इसकी कोई सूचना नहीं है. स्कूल प्रबंधन कमेटी के लिए भी यह शर्मनाक स्थिति है. जन प्रतिनिधियों के लिए यह कोई चिंता का मामला ही नहीं है.
रुपनारायणपुर. सालानपुर प्रखंड अंतर्गत देंदूआ ग्राम पंचायत के इकलौते माध्यमिक शिक्षा केंद्र (एमएसके) नेकड़ाजोड़िया में प्रधान समप्रसारिका (प्रधान शिक्षिका) सह शिक्षिका सुमित्र भट्टाचार्या के मेडिकल लीव में होने के कारण पिछले मंगलवार से ही केंद्र बंद है. प्रतिदिन छात्र आते हेैं और स्कूल में ताला लगा देख लौट जाते है.
सनद रहे कि प्रधान शिक्षिका श्रीमति भट्टाचार्या ने कहा कि एक दुर्घटना में उनके दाहिने हाथ की अंगुलियां बुरी तरह से चोटिल हो गयी हैं. चिकित्सक की सलाह पर वे बेड रेस्ट में है.
जिसकी सूचना उन्होंने स्कूल मैनेजिंग कमेटी सहित ग्राम पंचायत और प्रखंड कार्यालय को दे दी है. बुधवार को अंगुलियों की सिलाई कटने के बाद चिकित्सक की सलाह पर स्कूल में आना शुरु करेंगी. शिशु शिक्षा केंद्र (एसएसके) और माध्यमिक शिक्षा केंद्र (एमएसके) के जिला नोडल अधिकारी मानस हलदर ने कहा कि इसकी जानकारी उनके पास नहीं है. एक शिक्षिका वाले इस एमएसके में प्रखंड के अन्य एमएसके से किसी शिक्षक की यहां तबादला कर केंद्र को सुचारु रुप से चलाने की व्यवस्था जल्द की जायेगी.
देंदूआ ग्राम पंचायत अंतर्गत नेकड़ाजोड़िया इलाके में वर्ष 2007 में एमएसके की स्थापना हुयी. इस ग्राम पंचायत अंतर्गत एक भी अपर प्राइमरी स्कूल न होने के कारण नेकड़ाजोड़िया, कोदोविटा, धनूडी, बांसकेटिया, होदला, महेशपुर, श्रीरामपुर, लेफ्ट बैंक, जामीरकुड़ी, दवीपुर, देंदुआ आदि इलाकों के पांच किलोमीटर दायरे के बच्चे यहां पढ़ने आते है.
वर्ष 2007 में जब केंद्र आरंभ हुआ उस समय निमाई बसु प्रधान शिक्षक और सुमित्र भट्टाचार्या की नियुक्ति हुयी. स्कूल प्रबंधन कमेटी ने बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिये स्थानीय निवासी सौभिक मंडल, गौतम मंडल, सुजीत माजी और कविता चट्टराज को वोलेंटियर शिक्षक-शिक्षिका के वतौर नियुक्त किया. इन चारों को यह आशा थी कि यदि यहां शिक्षक की बहाली होगी तो उन्हे प्राथमिकता मिलेगी. दिसंबर 2010 में प्रधान शिक्षक श्री बसु ने अवकाश ग्रहण किया. उसके उपरांत भी किसी शिक्षक की बहाली नहीं हुयी. इस बीच स्वेच्छा सेवकों को भी अन्य स्थल पर नियोजन मिल गया तथा उन्होंने केंद्र में सहयोग करना बंद कर दिया. केंद्र में स्थायी शिक्षिका श्रीमति भट्टाचार्या ही प्रधान शिक्षिका बन गयी.
स्कूल प्रबंधन कमेटी ने स्कूल को सुचारु रुप से चलाने के लिये अक्षय लायक और सुमन सिद्दिकी को स्वेच्छा सेवक के रुप में कार्य पर रखा. वर्ष 2011 से स्कूल में सिर्फ प्रधान शिक्षिका और एक स्वेच्छा सेवक श्री सिद्दकी ही रह गए है. यहां कक्षा पांच से आठ तक की पढ़ायी होती है.
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