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एवरेस्ट विजयी परेश सो गये हिमालय की गोद में

दुर्गापुर : एवरेस्ट विजेता परेशचंद्र नाथ (58) को हिमालय ने आखिरकार अपने गोद में संरक्षित कर लिया. अब वे कभी भी अपने घर नहीं आ सकते. ज्ञात रहे कि परेशचंद्र नाथ बीते सात अप्रैल को एवरेस्ट विजय के लिये अपने घर से निकले थे. वे 44 दिनों की कड़ी मेहनत एवं बांये हाथ की सभी […]

दुर्गापुर : एवरेस्ट विजेता परेशचंद्र नाथ (58) को हिमालय ने आखिरकार अपने गोद में संरक्षित कर लिया. अब वे कभी भी अपने घर नहीं आ सकते. ज्ञात रहे कि परेशचंद्र नाथ बीते सात अप्रैल को एवरेस्ट विजय के लिये अपने घर से निकले थे. वे 44 दिनों की कड़ी मेहनत एवं बांये हाथ की सभी उंगलियां कटे होने के बावजूद 21 मई की सुबह 5:36 पर एवरेस्ट पर पहुंचे थे.
आखिरी बार उनसे संपर्क रविवार को हुआ. इसके बाद उनका संपर्क बेस से संपर्क टूट गया. लगातार पांच दिनों तक खोज अभियान चलाये जाने के बाद शुक्रवार को उनके पार्थिव शरीर का पता लगा. लेकिन खराब मौसम, तुषारपात, आंधी एवं इस साल की सिजन खत्म हो जाने के कारण उनके पार्थिव शरीर को अब नहीं लाया जा सकता.
श्री नाथ के घर पर शोक की छाया है एवं कई तरह की अलग अलग संस्कार उनके परिवार के मदद के लिये सामने आ रही है. श्री नाथ की पत्नी सबिता नाथ का कहना है कि उनके पति के शव को लेने की जरुरत नहीं है वे उनके लिये हमेशा जीवित रहेंगे. श्री नाथ अपना घर खर्च पर्वतोरोहियों के लिये बैग, जूता कोट आदि सामान बनाकर चलाते थे. उनका एक सात साल का लड़का अदिशेखर नाथ अपने पापा के तरह पर्वतारोही बनना चाहता है.
परिजन मधुमिता ने बताया कि परेशचंद्र नाथ बेहद अच्छे इंसान थे वे हमेशा सबकी मदद करते थे. श्रीनाथ को अपने उम्र के लिहाज सेअपनी मृत्यू का कोई भय नहीं था. उन्होंने कहा था कि मंजिल को प्राप्त कर अगर उनकी मृत्यू हो जाय तो उनके लिये गव्र की बात है. श्रीमती मधुमिता ने बताया कि श्री नाथ की परिवार की सुरक्षा के लिये श्रीमती ममता बनर्जी से उनके पत्नी के लिये सरकारी नौकरी के लिये आवेदन किया जायेगा.
उनके परिवार को कई तरह की संस्थाएं अलग अलग तरीके से मदद कर रही है. दुर्गापुर माउंटेनर एसोसियेशन के अधिकारी सागर मय ने बताया कि हम हमेशा श्री नाथ के परिवार के साथ रहेंगे एवं उनके लड़के की पढ़ायी का खर्च माउंटेनर एसोसियेशन उठायेगा. इसके अलावा स्थानीय लोगों द्वारा भी चंदा उठाकर उनके परिवार को मदद पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.

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