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हनीमेन कंपनी की संपत्ति की जांच के लिए एनसीएलटी ने नियुक्त किया लिक्विडेटर

लिक्विडेटर ने शुरू किया संपत्ति की वैल्यूएशन का कार्य 170 ग्राहकों ने कम्पनी के खिलाफ एनसीएलटी में मामल दायर किया मामला आसनसोल : हनीमेन हाऊसिंग एंड डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा ग्राहकों से पैसा लेकर उन्हें जमीन न देने या पैसा वापस नहीं लौटने के मुद्दे पर तीन दिसम्बर 2019 को नेशनल कम्पनी लॉ ट्रिव्यूनल […]

लिक्विडेटर ने शुरू किया संपत्ति की वैल्यूएशन का कार्य

170 ग्राहकों ने कम्पनी के खिलाफ एनसीएलटी में मामल दायर किया मामला
आसनसोल : हनीमेन हाऊसिंग एंड डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा ग्राहकों से पैसा लेकर उन्हें जमीन न देने या पैसा वापस नहीं लौटने के मुद्दे पर तीन दिसम्बर 2019 को नेशनल कम्पनी लॉ ट्रिव्यूनल (एनसीएलटी) में होने वाली सुनवाई में ग्राहकों के पक्ष में बड़ा फैसला आ सकता है. संस्था के मिदनापुर प्रोजेक्ट में जमीन के लिए सात लाख रुपया भुगतान करने वाले सुप्रिय राणा और अन्य 170 लोगों ने संस्था के खिलाफ एनसीएलटी में पैसा वापसी के लिए डेढ़ वर्ष पूर्व शिकायत दायर की थी.
शिकायत के आधार पर चली कार्यवाई के तहत संस्था पर लिक्विडेटर की नियुत्ति की गई है. संस्था व इसकेे निदेशकों की संपत्ति का आंकड़ा संग्रह किया जा रहा है. जिसकी नीलामी की प्रक्रिया जल्द आरम्भ हो सकती है. नीलामी से मिली राशि का भुगतान यहां पैसा लगाने वाले ग्राहकों को किया जाएगा. जिसे लेकर तीन तारीख की सुनवाई में कोई निर्णय आ सकता है.
कंपनी के खिलाफ एनसीएलटी में मामला दायर करने वाले सुप्रिय राणा ने बताया कि कंपनी किसी भी जमीन को डेवलप कर लोगों को मुहैया कराने के लिए किस्तों में पैसा वसूलती थी.
जमीन का समझौता पत्र या डीड की प्रति ग्राहकों की दिखाती थी कि इस जमीन को डेवलप करके यहां प्लॉट आवंटन किया जाएगा. जमीन की पूरी कीमत का भुगतान करने के बाद ही जमीन की रजिस्ट्री ग्राहक के नाम पर होगी. किस्त पूरा होने के बाद ग्राहक यदि जमीन नहीं लेना चाहे तो उसे 18 प्रतिशत व्याज के साथ सारा पैसा लौटा दिया जाएगा. कम्पनी के 2015 -16 के बैंक स्टेटमेंट के अनुसार उसके पास 200 सौ करोड़ रुपये नगदी थी.
इसके अलावा जमीन थी. इसके बाद से सारा पैसा गायब हो गया. जमीन की रजिस्ट्री भी बंद हो गयी, जो जमीन रजिस्ट्री हुई उसका म्यूटेशन नहीं हो रहा है. कंपनी ने ग्राहकों के पैसे भी वापस नहीं लौटाया.इसे लेकर एनसीएलटी में मामला दायर किया गया. ट्रिव्यूनल ने सेटलमेंट करने का निर्देश कम्पनी को दिया. 170 ग्राहकों के दस करोड़ रुपया कम्पनी को भुगतान करना था. कम्पनी ने लिखित समझौता के बाद भी पैसे का भुगतान नहीं किया.

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