44 श्रम कानूनोंको चार कोड में समाहित करने का बिल पेश
ट्रेड यूनियनों ने कहा: केंद्र सरकार की साजिश, होगा आंदोलन
सांकतोड़िया : केंद्र सरकार ने 44 श्रम कानूनों में परिवर्तन कर चार कोड में बदलने का विधेयक बजट लोकसभा के सत्र में प्रस्तुत कर दिया. इससे श्रमिक संघ प्रतिनिधियों में नाराजगी बढ़ गई है. इस विधेयक के खिलाफ श्रमिक संघ लामबंद होने लगे हैं और आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने जुट गए हैं.
श्रम संगठनों का कहना है कि श्रम कानून में बदलाव कर जो नए चार कोड बनाए जा रहे हैं, उनमें इंडस्ट्रियल कोड, वेज कोड, कोड अन सोशल सिक्यूरिटी तथा कोड ऑन सेफ्टी है. इन चारों कोड में 44 श्रम कानूनों को समेट कर समाहित किया जा रहा है. केंद्र सरकार ने श्रम सुधार के नाम पर यह बदलाव करने की मंशा जताते हुए लोकसभा में विधेयक प्रस्तुत किया है. इसकी जानकारी मिलते ही श्रमिक संघ प्रतिनिधियों ने विरोध करना शुरू कर दिया है.
उन्होनें बताया कि सरकार ने मौजूदा 44 श्रम कानूनों को समेटकर चार कोड में बदलने का प्रस्ताव है, इनमें इंडस्ट्रियल कोड में पहले से ही 15 कानून मौजूद हैं, जिसमें औद्योगिक विवाद अधिनियम, कांट्रेक्ट एक्ट, अप्रेंटिस एक्ट, ट्रेड यूनियन एक्ट आदि समाहित हैं. सरकार इसमें ट्रेड यूनियन एक्ट को पूरी तरह से बदलने की तैयारी कर रही है, जिसमें ट्रेड यूनियनों की मान्यता को समाप्त करना, ट्रेड यूनियन नेताओं पर भारी जुर्माना लगाना तथा ट्रेड यूनियन में बाहर के नेता जो अनुभवहीन मजदूरों को मदद पहुंचाने का काम करते हैं, उनको रोकना आदि शामिल है. उन्होंने कहा कि कोड ऑन सेफ्टी के तहत 13 कानूनों को इकट्ठे कर अस्पष्ट एक कानून बनाने की बात कही गई है, जबकि करोड़ों मजदूर जिनकों नियोक्ताओं ने सुरक्षा प्रावधानों के दायरे से बाहर रखा है, उसके लिए सरकार पूरी तरह मौन है.
उन्होनें कहा कि वेज कोड के तहत सरकार टाइम फ्रेम वेज सेटेलमेंट को समाप्त कर घंटे के हिसाब से मजदूरी तय करना चाहती है. वर्तमान में द्विपक्षीय कमेटियों की ओर से वेज सेटेलमेंट होता है, उसे पूरी तरह समाप्त कर अस्पष्ट सा कोई कानून लाना चाहती है, जो कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में हो. सोशल सिक्यूरिटी कोड के अंदर वर्तमान में 14 कानून संसद के माध्यम से बने हुए हैं, उसे सरकार खत्म करना चाह रही है और सोशल सिक्योरिटी कोष में रखे चार हजार लाख करोड़ की रकम को पीएमओ ऑफिस के नियंत्रण में लाना चाहती है.