नरेेंद्र मोदी की सुनामी में माकपा चली गयी तीसरे स्थान पर
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माकपा के कब्जे से भाजपा ने छीन लिया आसनसोल संसदीय सीट पिछली बार
नरेेंद्र मोदी की सुनामी में माकपा चली गयी तीसरे स्थान पर राज्य में सरकार गठित करने के तीन वर्ष बाद ही पिछड़ी तृणमूल आसनसोल : आसनसोल संसदीय क्षेत्र में भाजपा ने कई चुनावों में भागीदारी की. लेकिन उसे वर्ष 2014 में सफलता मिली. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी दोला सेन को पराजित किया. लेकिन वर्ष 1998 […]
राज्य में सरकार गठित करने के तीन वर्ष बाद ही पिछड़ी तृणमूल
आसनसोल : आसनसोल संसदीय क्षेत्र में भाजपा ने कई चुनावों में भागीदारी की. लेकिन उसे वर्ष 2014 में सफलता मिली. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी दोला सेन को पराजित किया. लेकिन वर्ष 1998 से हुए संसदीय चुनाव में में चार बार माकपा ने जीत दर्ज की. इस संसदीय क्षेत्र से भी तक तृणमूल को कभी जीत नहीं मिली है. वामपंथ के बाद इसका प्रतिनिधित्व भाजपा के हाथों में गया है.
वर्ष 1998 में हुए मध्यावधि संसदीय चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र से आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. माकपा ने हराधन राय की हैट्रिक बनने के बाद उनके स्थान पर विकास चौधरी को प्रत्याशी बनाया. जबकि तृणमूल ने मलय घटक तथा कांग्रेस ने एसएस अहलूवालिया को प्रत्याशी बनाया था. राजद ने भी किस्मत आजमाई थी. इसमें कुल 12,42,690 मतदाताओं में से 70.87 फीसदी यानी 8,80,747 मतदाताओं ने मतदान किया था. माकपा ने तृणमूल प्रत्याशी को 26 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था.
लेकिन यह लोकसभा अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी तथा वर्ष 1999 में फिर मध्यावधि चुनाव कराना पड़ा. इस चुनाव में सात प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई. माकपा तथा तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी पुराने ही रहे. हालांकि कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बदला. एसएस अहलूवालिया के स्थान पर माणिक उपाध्याय प्रत्याशी बनाये गये. कुल 12,65,330 मतदाताओं में से 65.52 फीसदी यानी 8,29,147 ने मतदान किया. माकपा प्रत्याशी विकास चौधरी ने 3,77,265 मत लेकर तृणमूल के मलय घटक को 37 हजार मतों से हराया.
वर्ष 2004 में हुए संसदीय चुनाव में आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. माकपा ने पुन: विकास चौधरी तथा तृणमूल ने मलय घटक को प्रत्याशी बनाया. कांग्रेस ने फिर प्रत्याशी बदला तथा तापस बनर्जी को प्रत्याशी बनाया. 10,92,141 मतदाताओं में से 66.40 फीसदी यानी 7,25,198 ने मतदान किया. विकास चौधरी ने 3,69,832 मत लेकर मलय घटक को सवा लाख मतों के अंतर से पराजित किया. लेकिन पहली अगस्त, 2005 को विकास चौधरी की मौत हो गई. उनकी खाली सीट पर पांच सितंबर को चुनाव कराया गया. इसमें माकपा ने वंशगोपाल चौधरी को प्रत्याशी बनाया, जबकि तृणमूल से मलय घटक ही प्रत्याशी रहे. इस चुनाव में वंशगोपाल चौधरी को 4,10,740 मत तथा श्री घटक को 1,80,799 मत मिले. माकपा ने 2.30 लाख मतों के अंतर से जीत दर्ज की.
वर्ष 2009 के संसदीय चुनाव में इस सीट से माकपा प्रत्याशी वंशगोपाल तथा तृणमूल प्रत्याशी मलय घटक ने फिर किस्मत आजमाया. दोनों के बीच ही मुख्य टक्कर हुई. माकपा को 4,35,161 मत मिले जबकि तृणमूल को 3,62,205 मत मिले. माकपा ने करीब 77 हजार मतों के अंतर से जीत दर्ज की.
वर्ष 2014 में संसदीय चुनाव नरेन्द्र मोदी की सुनामी के बीच हुई. इसमें भाजपा प्रत्याशी बाबुल सुप्रिय ने तृणमूल प्रत्याशी दोला सेन को 70 हजार मतों के अंतर से हराया. माकपा प्रत्याशी कई दशकों के बाद तीसरे स्थान पर चला गया. भाजपा को 4,19,983 मत, तृणमूल को 3,49,503 मत तथा माकपा को 2,55,829 मत मिले. इस प्रकार भाजपा ने 70 हजार मतों के अंतर से तृणमूल को 1.60 लाख मतों के अंतर से माकपा को हराया.
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