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हाइकोर्ट ने दिया सरकार को झटका, कहा – डीए सरकारी कर्मियों का कानूनी अधिकार

कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को दिया जाने वाला महंगाई भत्ता (डीए) उनका कानूनी अधिकार है न कि सरकार की दया. कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश देवाशीष करगुप्ता और न्यायाधीश शेखर बॉबी सराफ की खंडपीठ ने 17 महीनों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद यह फैसला […]

कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को दिया जाने वाला महंगाई भत्ता (डीए) उनका कानूनी अधिकार है न कि सरकार की दया. कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश देवाशीष करगुप्ता और न्यायाधीश शेखर बॉबी सराफ की खंडपीठ ने 17 महीनों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद यह फैसला सुनाया.
क्या है मामला :
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष 16 फरवरी को स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल यानी एसएटी में राज्य सरकार के कर्मचारियों के दो संगठन, कनफेडेरेशन ऑफ स्टेट गवर्नमेंट इम्प्लॉइज तथा यूनिटि फोरम पहुंचे थे, लेकिन एसएटी ने साफ कर दिया कि डीए पाने का अधिकार राज्य सरकार के कर्मचारियों को नहीं है. डीए केवल सरकार की दया है.
ट्राइब्यूनल के इस निर्देश को चुनौती देते हुए दोनों ही संगठन कलकत्ता हाइकोर्ट पहुंचे थे. संगठन का कहना था कि डीए पाने का अधिकार कर्मचारियों को है. इसलिए राज्य सरकार बकाया डीए देती है. इसका राज्य सरकार ने विरोध किया. राज्य की ओर से एडवोकेट जनरल किशोर दत्त शुरू से ही यह दावा करते आ रहे हैं कि डीए का अधिकार कर्मचारियों को नहीं है. डीए कानूनी नहीं, बल्कि नीतिगत कारणों के चलते ही सरकार कर्मचारियों को यह देती है. हाइकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि ट्राइब्यूनल ने जल्दीबाजी में फैसला सुनाया.
नये तौर पर जिन दो विषयों पर विचार करने के लिए एसएटी के पास हाइकोर्ट ने भेजा है. केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारियों को समान दर पर डीए मिलेगा या नहीं. साथ ही दिल्ली व चेन्नई में राज्य सरकार के कुछ कर्मचारी कार्यरत हैं. उन्हें राज्य में कार्यरत कर्मचारियों से अधिक दर पर डीए मिलता है. लिहाजा एक ही पद पर कार्यरत होने पर भी वेतन में भेदभाव हो रहा है. इस मामले में समान रूप से सरकारी कर्मचारियों को क्या डीए मिलेगा? ट्राइब्यूनल को इन दोनों विषयों पर फैसला लेना होगा.
दो महीने के भीतर एसएटी को इस मामले में फैसला लेना होगा. इधर, राज्य कर्मचारी परिषद के सचिव आशीष सील ने बताया कि डीए को लेकर उनका एक अन्य मामला एसएटी में विचाराधीन है.

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