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फर्जी मतदाताओं की नकेल कसने की पहल, दो बूथों पर नाम हुआ तो पकड़े जायेंगे

आसनसोल : इलेक्ट्रॉल रजिस्ट्रार ऑफिसर नेट वेब मॉड्यूल पद्धति से अब फर्जी मतदाताओं की पहचान मिनटों में होगी. एक व्यक्ति एक आधार के तर्ज पर ही केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक व्यक्ति एक मतदाता पहचान पत्र के लिए यह पद्धति आरम्भ करेगी, एक सितंबर, 2018 से आरम्भ हो रही समरी रिवीजन इलेक्ट्रोरल रोल (एसआरईआर) में […]

आसनसोल : इलेक्ट्रॉल रजिस्ट्रार ऑफिसर नेट वेब मॉड्यूल पद्धति से अब फर्जी मतदाताओं की पहचान मिनटों में होगी. एक व्यक्ति एक आधार के तर्ज पर ही केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक व्यक्ति एक मतदाता पहचान पत्र के लिए यह पद्धति आरम्भ करेगी, एक सितंबर, 2018 से आरम्भ हो रही समरी रिवीजन इलेक्ट्रोरल रोल (एसआरईआर) में यह पद्धति लागू की जायेगी.
इससे पूरे देश में एक से अधिक बूथों पर मतदाता पहचान पत्र होने से इसकी सूचना तत्काल ईआरओ को मिल जायेगी. जिसके उपरान्त उक्त मतदाता को बुलाकर सुनवाई के बाद उसका नाम अन्य बूथों से काटने की प्रक्रिया शुरू जायेगी. इस पद्धति में कार्य करने में समय की बचत होगी और मतदाता सूची में नये नाम चढ़ाते ही मतदाता को चुनाव फोटो पहचान पत्र (एपिक) का नम्बर तुरंत मिल जायेगा.
अब तक इलेक्ट्रोरल रोल मैनेजमेंट सिस्टम (ईआरएम एस) वेब मॉड्यूल में तीन अलग अलग सॉफ्टवेयर में कार्य करना पड़ता है. ईआरओ नेट में सिर्फ एक ही सॉफ्टवेयर में पूरा कार्य होगा.
ईआरओ नेट वेब मॉड्यूल में ऐसे होगा कार्य
ईआरओ नेट वेब मॉड्यूल पद्धति में ईआरओ किसी भी नये नाम को चढ़ाने या काटने की जैसे ही अप्रूवल देंगे, उस मतदाता का नाम कट या जुड़ जायेगा. मंजूरी मिलने के कुछ क्षण में ही नेट पर जारी मतदाता सूची में मतदाता अपना स्टेटस देख पायेंगे. चुनाव आयोग का यह सॉफ्टवेयर पूरे देश की मतदाता सूची से जुड़ा रहेगा. ईआरएमएस पद्धति में सिर्फ राज्य की मतदाता सूची का ही ब्यौरा उपलब्ध रहता था.
दो बूतों पर नाम पकड़ में आयेगा
ईआरएमएस पद्धति में ईआरओ को सिर्फ अपने ही राज्य का डेटा उपलब्ध होता था. राज्य में कहीं यदि एक मतदाता का दो जगहों पर नाम है तो वह ईआरओ देख पाते थे. ईआरओ नेट पद्धति सेंट्रल डेटा बेस से जुड़ा होगा. इसमें एक मतदाता का नाम देश के किसी भी राज्य में दो बार होने पर इसकी सूचना ईआरओ को प्राप्त हो जायेगी.
डीएसई से फर्जी मतदाता की पहचान
डेमोग्राफी सिमिलर एंट्री ( डीएसई) के जरिये डुप्लीकेट मतदाता की पहचान की जायेगी. इसमें चार तथ्यों – नाम, पिता का नाम, उम्र और लिंग की जांच की जायेगी. चार पहचान एक होने पर तत्काल सर्वर से उस व्यक्ति का एपिक डाउनलोड किया जायेगा. एपिक में यदि फोटो भी मिल गया तो बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) से उस मतदाता की जांच रिपोर्ट मांगी जायेगी. जांच रिपोर्ट के आधार पर मतदाता यदि यहां रहता है तो उसे बुलाकर सुनवाई की जायेगी, अन्यथा मतदाता तालिका से उस मतदाता का नाम ईआरओ काट देंगे.
कार्य में होगी आसानी
ईआरएसएम पद्धति में डेटा एंट्री, ईआरओ अप्रूवल और एपिक के लिए तीन अलग अलग सॉफ्टवेयर ईआरओ को नाम चढ़ाने, काटने, पता बदलने, नाम संशोधन आदि के लिए कार्य करना पड़ता था. नई पद्धति में सिर्फ एक सॉफ्टवेयर से ही सभी कार्य होंगे. इससे ईआरओ को कार्य करने मेंआसानी होगी.
Prabhat Khabar Digital Desk
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