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तकनीक में बदलाव से बचेंगी भूमिगत खदानें, सहायक एजेंसियों की मदद से आइएसएम ने सीआइएल को सौंपी रिपोर्ट

सांकतोड़िया : ईसीएल सहित कोल इंडिया की सहायक कंपनियों में लंबे समय से अत्यंत घाटे में चल रही 90 भूमिगत खदानों को रिवाइवल करने के संबंध में सौंपी गई जिम्मेदारी को पूरा करते हुए आइएसएम एवं उसकी दो सहयोगी एजेंसियों ने भूमिगत खदानों का अध्ययन करने के बाद कोल इंडिया मुख्यालय में अपनी अध्ययन रिपोर्ट […]

सांकतोड़िया : ईसीएल सहित कोल इंडिया की सहायक कंपनियों में लंबे समय से अत्यंत घाटे में चल रही 90 भूमिगत खदानों को रिवाइवल करने के संबंध में सौंपी गई जिम्मेदारी को पूरा करते हुए आइएसएम एवं उसकी दो सहयोगी एजेंसियों ने भूमिगत खदानों का अध्ययन करने के बाद कोल इंडिया मुख्यालय में अपनी अध्ययन रिपोर्ट सौंप दी है.
इससे पहले आइएसएम की टीम ने कोल इंडिया चेयरमैन एके झा सहित तमाम कोल कंपनियों के सीएमडी व निदेशकों के बीच पावर प्रेजेंटेशन के जरिए खदानों की स्थिति व उसके तकनीक इस्तेमाल पर जानकारी दी थी. आइएसएम के पूर्व निदेशक व अध्ययन में शामिल डीसी पाणिग्रही ने बताया कि पांच माह तक भूमिगत खदानों का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की गई है.
खदानों में कोयला उत्पादन करने के लिए तकनीक में बदलाव जरूरी है. बदलाव होते ही भूमिगत खदानों से कोयला उत्पादन बढ़ जायेगा. साथ ही पर्यावरण व कोयले की गुणवत्ता को लेकर भी जो सवाल खड़े हो रहे हैं, उससे निजात मिल जायेगी. इन खदानों में 7.2 अरब टन कोयला का भंडार है, जिसमें कोकिंग कोल व नन कोकिंग कोल शामिल है. विभिन्न कोल कंपनियों के सीएमडी ने भी अपने-अपने सुझाव दिये हैं. कोल इंडिया ग्लोबल टेंडर के जरिए अगले तीन सालों में दो अरब डालर से उच्च तकनीक के खनन उपकरण खरीदेगा.
कोयले की बढ़ती मांग को लेकर कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए कोल इंडिया प्रबंधन ने यह निर्णय लिया गया है. अगले तीन साल में 12 हजार से 13 हजार करोड़ रुपए के खनन उपकरण खरीदे जायेंगे. जिसकी तैयारियां प्रारंभ कर दी गई है. कोल इंडिया चेयरमैन अनिल कुमार झा ने ईसीएल सहित सभी अनुषंगी कंपनियों के सीएमडी तथा निदेशकों के साथ कोल इंडिया मुख्यालय कोलकाता में समीक्षा बैठक कर कहा कि वे कोयला उत्पादन एवं डिस्पैच पर पूरा ध्यान केंद्रित करें.

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