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वर्ष 2014 : बंगाल के उद्योग जगत के लिए अच्छा नहीं रहा साल, बंद हुईं कई परियोजनाएं

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के उद्योग जगत के लिए 2014 का वर्ष बहुत अच्छा नहीं रहा है. साल के दौरान जहां राज्य में संयंत्र बंद हुए, परियोजनाएं स्थगित हुईं और पोंजी योजनाओं का मुद्दा छाया रहा. वर्ष 2015 में भी प बंगाल को इससे आसानी से राहत मिलती नहीं दिखती है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की […]

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के उद्योग जगत के लिए 2014 का वर्ष बहुत अच्छा नहीं रहा है. साल के दौरान जहां राज्य में संयंत्र बंद हुए, परियोजनाएं स्थगित हुईं और पोंजी योजनाओं का मुद्दा छाया रहा. वर्ष 2015 में भी प बंगाल को इससे आसानी से राहत मिलती नहीं दिखती है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार ने सिंगापुर सहित अन्य स्थानों से निवेशकों को आकर्षित करने का प्रयास किया. लेकिन इस दिशा में विशेष प्रगति नहीं हो पायी. 2014 में सिर्फ एमएसएमई क्षेत्र की वृद्धि ही राज्य के लिए अच्छी बात रही.
हाल के बरसों में कई बड़े उद्योग राज्य से बाहर निकले हैं. इस साल भी प बंगाल में संयंत्रों के बंद होने का सिलसिला जारी रहा. हल्दिया समूह व हिंदुस्तान मोटर्स के कारखाने जहां बंद हुए, वहीं जेएसडब्ल्यू ग्रुप ने एक बड़ी इस्पात परियोजना को रोक दिया है.
राज्य को सबसे बड़ा झटका धन जुटाने की अवैध योजनाओं से लगा. सारधा समूह के घोटाले के बाद राज्य को पोंजी का केंद्र कहा जाने लगा है. इन इकाइयों के राजनीतिक संपर्कों ने स्थिति और खराब की. हालांकि, इसके बावजूद प्रदेश की मुख्यमंत्री ने सरकार के उद्योग अनुकूल रख को दिखाने का प्रयास किया. इस साल वह राज्य के रीयल एस्टेट, वित्त व पर्यटन क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए उद्योगपतियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ सिंगापुर भी गयीं.
सरकार ने जनवरी में निवेश पर एक सम्मेलन का भी आयोजन किया जिसमें देशभर के उद्योगपतियों ने भाग लिया. राज्य के लिए एक अच्छी बात सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) क्षेत्र की वृद्धि रही. उद्योग मंत्री अमित मित्रा के अनुसार तृणमूल सरकार के सत्ता में आने के बाद राज्य में पिछले तीन साल से 35,000 से अधिक एमएसएमई इकाइयां स्थापित हुई हैं. मित्रा ने बताया कि एमएसएमई क्षेत्र में 13 लाख से ज्यादा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हुआ. औद्योगिक मोर्चे पर पहली परेशानी हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स लि. के पेट्रोरसायन संयंत्र का अस्थायी रूप से बंद होना रही. कार्यशील पूंजी के अभाव में यह अत्याधुनिक संयंत्र करीब छह माह तक बंद रहा.
औद्योगिक मोर्चे पर एक और झटका उस समय लगा जबकि हिंदुस्तान मोटर्स ने उत्तरपाड़ा में देश के सबसे पुरानी कार विनिर्माण संयंत्र का बंद करने की घोषणा की. कंपनी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना पेश की, लेकिन इसको अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली. 2,300 में से सिर्फ 925 कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन किया.
निजी क्षेत्र में जेएसडब्ल्यू स्टील के चेयरमैन सज्जन जिंदल ने हाल में सालबोनी में स्थापित किये जाने वाले एक करोड़ टन क्षमता के इस्पात संयंत्र को फिलहाल रोकने की घोषणा की है.राज्य के चाय उद्योग की हालत भी खराब है. कई चाय बागान बंद हो चुके हैं जिससे इनमें कार्यरत श्रमिकांे के समक्ष काफी परेशानी आ गयी है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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