सुरक्षा देने के नाम पर होती थी वसूली, रजत मजूमदार से पूछताछ
कोलकाता : सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने शनिवार को लंबी पूछताछ के बाद व्यवसायी संधीर अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया. अग्रवाल को पूछताछ के लिए सॉल्टलेक स्थित सीबीआइ दफ्तर बुलाया गया था.
आठ घंटे की लंबी पूछताछ में संधीर के बयानों में अंतरविरोध सामने आने के बाद सीबीआइ ने उसे गिरफ्तार कर लिया. सारधा घोटाले में सीबीआइ की यह दूसरी गिरफ्तारी है. इससे पहले ईस्ट बंगाल क्लब के अधिकारी देबब्रत सरकार को गिरफ्तार किया जा चुका है. सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक, सरकार और संधीर में निकटता रही है. संधीर ईस्ट बंगाल क्लब का सदस्य भी है. सूत्रों के मुताबिक, सारधा मामले में संधीर ने एक संपर्क सूत्र के तौर पर काम किया है.
संधीर पर आरोप है कि उसने बाजार नियामक सेबी के तीन अधिकारियों से सारधा प्रमुख सुदीप्त सेन और देबब्रत की पहचान करवायी थी. इस बीच, जानकारी के अनुसार, सीबीआइ संधीर के पिता सज्जन अग्रवाल को भी पूछताछ के लिए बुला सकती है.
सुदीप्त के सलाहकर के रूप में काम करते थे रजत : उधर, शनिवार को ही सीबीआइ अधिकारियों ने पूर्व आइपीएस अधिकारी तथा तृणमूल कांग्रेस के करीबी माने जाने वाले रजत मजूमदार से पूछताछ की.
जानकारी के मुताबिक, दिन में 12 बजे रजत मजूमदार सीबीआइ कार्यालय पहुंचे. सीबीआइ सूत्रों के अनुसार, मजूमदार सारधा प्रमुख सुदीप्त सेन के सलाहकार के रूप में कार्य करते थे.
सुदीप्त सेन के कथित बयान के अनुसार, सलाह के एवज में पूर्व पुलिस अधिकारी मजूमदार को करीब 10 लाख रुपये प्रति महीने मिलते थे. रजत मजूमदार के बयान की रिकॉर्डिग की गयी है.
गौरतलब है कि 14 अगस्त को मजूमदार के निवास पर सीबीआइ ने छापेमारी की थी. वहां के कुछ कागजात जब्त किये गये थे.
सीबीआइ सूत्रों के अनुसार, रजत मजूमदार को किसी अनुबंध के बगैर सलाहकार के रूप में प्रति महीने सुदीप्त सेन की कंपनी से करीब 10 लाख रुपये मिलते थे. 2011 के जून महीने से 2012 के जून महीने तक परामर्श के एवज में मजूमदार को यह राशि प्राप्त हुई. इसी तरह अनुबंध के बगैर लेन-देन के अन्य हिसाब की बात को भी सीबीआइ अधिकारी खंगाल रहे हैं.
सारधा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन का परिचय कौन-कौन से प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ रजत मजूमदार ने कराया इसकी भी पड़ताल की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, सारधा को सुरक्षा देने के नाम पर कंपनी के मालिक सुदीप्त सेन से लगातार वसूली की गयी. अब परतें एक-एक कर खुल रही हैं.