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सामूहिक दुष्कर्म मामले को दबाने का आरोप

धूपगुड़ी : शहर की बामनी नदी के कछार में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार महिला के मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है. रविवार को यह आरोप महिला के पिता और नागरिक मंच के पदाधिकारियों ने लगाया है. आरोप है कि पूरी तरह से स्वस्थ किये बिना ही दुष्कर्म की शिकार और जख्मी महिला […]

धूपगुड़ी : शहर की बामनी नदी के कछार में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार महिला के मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है. रविवार को यह आरोप महिला के पिता और नागरिक मंच के पदाधिकारियों ने लगाया है. आरोप है कि पूरी तरह से स्वस्थ किये बिना ही दुष्कर्म की शिकार और जख्मी महिला को दो रोज सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में रखने के बाद उसे जिला अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया. उसके बाद उसे इलाज किये बिना घर ले जाने के लिये कहा जा रहा है.

छुट्टी दिये जाने को पीड़िता के पक्षवाले किसी के दबाव में की जा रही कार्रवाई बता रहे हैं. उल्लेखनीय है कि एक मई को हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद ही जलपाईगुड़ी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा दुष्कर्म की घटना से इंकार करते हुए रिपोर्ट दी गयी थी. जिसको लेकर पुलिस प्रशासन के सामने भी असमंजस की स्थिति पैदा हो गयी है.
वहीं, नागरिक मंच के पदाधिकारी और माकपा के क्षेत्रीय नेतृत्व ने इसे सामूहिक दुष्कर्म की घटना बताते हुए जल्द दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की है. महिला के पिता ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी का सही तरीके से इलाज किये बिना ही दो रोज बाद जिला अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है.
इसके बाद शनिवार को उन्हें कहा गया कि वह अपनी बेटी को अस्पताल से घर ले जायें. लेकिन पिता का कहना है कि उनकी बेटी की उठकर बैठने की स्थिति तक नहीं है. फिर उसे अस्पताल से ले जाने के लिये क्यों कहा जा रहा है? जब उन्होंने कहा कि उनके पास घर ले जाने के लिये रुपये नहीं है तो एक पुलिस कांस्टेबल ने उन्हें एक सौ रुपये दिये.
लेकिन वह बेटी के पूरी तरह से स्वस्थ होने तक घर ले जाने को तैयार नहीं हैं. इस घटना को लेकर आक्रांत आमरा नामक स्वयंसेवी संगठन के पक्ष से अध्यापक अंबिकेश महापात्र ने कोलकाता से ई-मेल के जरिये एसपी और धूपगुड़ी थाना के आईसी से इस गंभीर घटना की जल्द जांच कर दोषियों को गिरफ्तार करने के अलावा पीड़िता का समुचित इलाज करने की मांग की है.
रविवार को उन्होंने फोन पर बताया कि इस राज्य की मुख्यमंत्री एक महिला हैं वहां दुष्कर्म की घटनायें इतनी बढ़ रही हैं. तकरीबन हर मामले में दोषियों को बचाने का प्रयास हो रहा है. यह गंभीर मामला है. उन्होंने कहा कि जल्द ही उनका एक प्रतिनिधिदल पीड़ित परिवार से भेंटकर उनसे विस्तृत जानकारी लेगा.
धूपगुड़ी शहर और आसपास इस तरह की दुष्कर्म की घटनायें कई बार हो चुकी हैं जो कई तरह के संदेह पैदा करती है. धगपुड़ी के प्रतिवादी नागरिक मंच के संयोजक अलक चक्रवर्ती ने कहा कि घटना की जानकारी होते ही उन्होंने पीड़िता और उसके पिता से भेंट की. उसके इलाज के लिये हरसंभव मदद की जायेगी.
अल्पसंख्यक समुदाय की पीड़िता के पिता ने रविवार को धूपगुड़ी आकर बताया कि उनकी बेटी को दो रोज तक बिना इलाज के सुपर स्पशेलियटी अस्पताल में रखने के बाद उसे जिला अस्पताल में स्थानांतरित किया गया है. लेकिन इसके बारे में उन्हें कोई सूचना नहीं दी गयी.
शनिवार को उन्हें मरीज को घर ले जाने के लिये अस्पताल से कहा गया. लेकिन उनकी बेटी बिस्तर पर उठकर बैठ नहीं पा रही है. कमर टूट चुकी है. इस तरह वह कैसे उसे घर ले जायेंगे और क्यों? वह दो रोज से बिना खाये पीये अस्पताल में पड़े हैं.
उनके पास घर ले जाने के लिये रुपये नहीं हैं. इस पर एक पुलिस कांस्टेबल ने उन्हें एक सौ रुपये दिये. घर जाकर उन्होंने नागरिक मंच के पदाधिकारियों से बात की. सभी ने कहा कि स्वस्थ होने तक बेटी को घर लाना उचित नहीं है. अस्पताल के चिकित्सक उन पर क्यों घर ले जाने के लिये दबाव दे रहे हैं उन्हें नहीं मालूम.
पीड़िता के पिता ने बताया कि बेटी की दो संतान हैं. उन्होंने उसका विवाह फालाकाटा के शीलबाड़ीघाट गांव के एक परिवार में कराया था. उसके ससुर तृणमूल के नेता हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि दामाद और समधी दोनों ही उनकी बेटी से मारपीट करते थे. पिछले पंचायत चुनाव में उन्हें समधी ने फोन पर जानकारी दी कि उनकी बेटी की मौत हो गयी है.
जाकर देखा तो वह बेहोश पड़ी है. उसका समुचित रुप से इलाज करवाकर उसे वापस उसके ससुराल पहुंचाया. इस तरह की कई घटनाओं के बाद उन्होंने एक साल से बेटी और नाती और नातिन को अपने साथ रखा है. तभी उसके साथ यह दर्दनाक हादसा हो गया.

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