38.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

लखनऊ में 200 साल पुराना आम और बरगद का पेड़, ऊदा देवी ने इसी पेड़ पर चढ़कर 36 अंग्रेजों को उतारा था मौत के घाट

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कुछ ऐसे पेड़ है जिसके बारे में आप जानकर हैरान हो जाएंगे. हम बात कर रहे है लखनऊ के उन पेड़ों के बारे में जो सदियों से जीते आ रहे हैं. ये ऐसे पेड़ है. जो आजादी की जंग को भी देखा है.

लखनऊ. आज पूरा देश पर्यावरण दिवस मना रहा है. हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इस दिन पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक भी किया जाता है. इसके साथ ही इस दिन जगह-जगह पर पेड़ लगाए जाते हैं ताकि आने वाले समय में हमारी आने वाली पीढ़ी को कोई दिक्कत न हो. इस दिन स्कूल, कॉलेज, ऑफिस और कई संस्थानों में कई तरह के प्रोग्राम कर लोगों को जागरूक भी किया जाता है. हालांकि आज के औद्योगीकरण के दौर में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई चिंता का विषय बन गया है. लेकिन, आज भी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कुछ ऐसे पेड़ है जिसके बारे में आप जानकर हैरान हो जाएंगे. हम बात कर रहे है लखनऊ के उन पेड़ों के बारे में जो सदियों से जीते आ रहे हैं. ये ऐसे पेड़ है. जो आजादी की जंग को भी देखा है 1857 के स्वंतत्रता संग्राम में अंग्रेजों ने अवध के नवाब वाजिद अली शाह को कलकत्ता निर्वासित कर दिया. इसके बाद विद्रोह की कमान बेगम हजरत महल ने संभाली.

यहां पर 36 अंग्रेजों को मौत के घाट उतारा था

विद्रोह के दौरान चिनहट में अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध हुआ. मक्का पासी समेत कई सैनिक शहीद हो गए. इन्हीं मक्का पासी की पत्नी ऊदा देवी थीं. उन्होंने भी अंग्रेजों से मोर्चा लिया. ऊदा देवी ने 16 नवंबर 1857 को सिकंदरबाग के इसी बरगद के पेड़ पर चढ़कर 36 अंग्रेजों को मौत के घाट उतारा था. इसी दौरान इसी पेड़ के पास गोली लगने से वह शहीद हो गईं. आजादी की जंग का गवाह यह बरगद आज भी राजधानी लखनऊ की एनबीआरआई परिसर में मौजूद है. इसकी उम्र 200 साल से भी ज्यादा है. यह प्रदेश के 948 विरासत वृक्षों में भी शुमार है. लखनऊ में कुल ऐसे 28 विरासत वृक्ष हैं, जो बरसों से हमारी आबो-हवा की रक्षा कर रहे हैं.

200 साल पुराना आम का पेड़

दूसरा एतिहासिक पेड़ काकोरी में हरदोई रोड स्थित दशहरी गांव में 200 साल पुराना आम का पेड़ 1600 वर्ग फुट में फैला है. इसे दशहरी आम का मदर प्लांट भी कहते हैं. हालांकि इसके फल का आकार छोटा रहता है. अब भी हर साल इस पेड़ में आम लगते हैं. भले ही चार-पांच फल आएं. इसके नाम पर मलिहाबाद का पूरा इलाका दशहरी के लिए मशहूर है. यहां 2.70 लाख हेक्टेयर में दशहरी आम के बाग हैं. इसी कड़ी में नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में पारिजात के तीन पेड़ विरासत वृक्ष की सूची में शामिल हैं. इनकी मान्यता देववृक्ष के तौर पर है.

Also Read: अलीगढ़ में पर्यावरण बचाने के लिए महापौर प्रशांत सिंघल चलाएंगे साइकिल, पेड़ लगाने की धर्मगुरुओं ने की अपील
चिड़ियाघर बनने से पहले से ये पेड़ थे मौजूद

चिड़ियाघर बनने से पहले से ये पेड़ मौजूद थे. इसके अलावा एक अरू का वृक्ष है, जिसकी उम्र 10 साल से ज्यादा है. कुकरैल क्षेत्र में सबसे ज्यादा 12 विरासत वृक्ष हैं. इसमें मल्हौर रेंज में एक बरगद और विज्ञानपुरी भरवारा में तीन पीपल के वृक्ष हैं. जिनकी उम्र 150 साल से ज्यादा है. हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायी आज भी यहां पूजा करते हैं. आलमबाग के खन्ना भट्ठा स्थित बैकुंठ धाम में पीपल के पेड़ व मलिहाबाद के मंझी निकरोजपुर में बरगद के पेड़ को विरासत वृक्ष के रूप में चिह्नित हैं. मंझी निकरोजपुर के बरगद पेड़ की ऐतिहासिक मान्यता स्कंद पुराण में भी है. इसको मेघा नक्षत्र का वृक्ष माना जाता है. इसके अलावा बीकेटी के तिवारीपुर में पीपल के वृक्ष की ऐतिहासिक मान्यता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें