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मायावती के चुनाव प्रचार पर लगी रोक, तो भतीजे आकाश आनंद ने संभाली कमान

आगरा (उप्र) : चुनाव आयोग द्वारा बसपा प्रमुख मायावती को 48 घंटे के लिए चुनाव प्रचार से प्रतिबंधित करने के बीच उनके भतीजे आकाश आनंद ने मंगलवार को यहां एक जनसभा से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की. आनंद ने गठबंधन की रैली को संबोधित किया. रैली स्थल पर बने मंच पर वह सपा अध्यक्ष […]

आगरा (उप्र) : चुनाव आयोग द्वारा बसपा प्रमुख मायावती को 48 घंटे के लिए चुनाव प्रचार से प्रतिबंधित करने के बीच उनके भतीजे आकाश आनंद ने मंगलवार को यहां एक जनसभा से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की.

आनंद ने गठबंधन की रैली को संबोधित किया. रैली स्थल पर बने मंच पर वह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, रालोद अध्यक्ष अजित सिंह और बसपा महासचिव एस सी मिश्रा के साथ बैठे नजर आये. आनंद ने कहा, मेरी बुआ जी की अपील पर यहां इतनी बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए हैं तो इसके लिए हम लोग आप सभी के आभारी हैं. मंच पर मेरे वरिष्ठ बैठे हैं और वे चुनाव के बारे में अपने विचार प्रकट करेंगे. मैं आपके सामने पहली बार आया हूं.

उन्होंने कहा कि वे गठबंधन की ओर से आगरा, मथुरा और फतेहपुर सीकरी सीटों पर खड़े किये गये प्रत्याशियों को वोट दें. उन्होंने अपना संक्षिप्त भाषण पार्टी के नारे ‘जय भीम’ और ‘जय भारत’ के उद्घोष से समाप्त किया. आनंद मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं. वह मायावती के साथ पार्टी की बैठकों में नजर आते रहते हैं.

बसपा की ओर से चुनाव प्रचार के लिए जारी स्टार प्रचारकों की सूची में आनंद भी शामिल हैं. बसपा महासचिव मिश्रा ने रैली को संबोधित करते हुए भाजपा पर आरोप लगाया कि वह शहीदों के नाम पर वोट मांगती है. उन्होंने पुलवामा हमले को ‘खुफिया तंत्र की विफलता’ का नतीजा बताया.

उन्होंने कहा कि जिस दिन घटना हुई, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उसी दिन देश में घूम-घूमकर अपना प्रचार कर रहे थे. घडियाली आंसू बहा रहे थे. उन्होंने कहा कि भाजपा धार्मिक भावनाओं को भड़काती है और अपने पक्ष में हवा बनाने का प्रयास करती है क्योंकि इसके अलावा इनके पास और कुछ है भी नहीं बताने के लिए.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में अली और बजरंगबली की बात करके लोगों को धर्म के नाम पर बांटने का भरपूर प्रयास किया. इससे जनता थोडी गुमराह भी हुई थी, लेकिन लोगों को गुमराह होने से बचाने के लिए चुनाव आचार संहिता का पूरा ध्यान रखते हुए मायावती को मजबूरी में अपनी एक चुनावी जनसभा में ये बताना पड़ा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री दो धर्मों के बीच नफरत पैदा करके इस चुनाव को जीतना चाहते हैं.

इनके बहकावे में जनता को कभी नहीं आना है. मिश्रा ने कहा कि दोनों के बारे में बसपा का हमेशा से मानना रहा है कि हमारे तो अली भी हैं और बजरंगबली भी हैं. ये दोनों हमारे अपने ही हैं. दोनों में से कोई भी गैर नहीं है इसलिए हमें अली भी चाहिए, बजरंगबली भी चाहिए. उन्होंने मायावती के चुनाव प्रचार पर लगे प्रतिबंध को अनुचित एवं असंवैधानिक करार दिया.

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