36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Explainer: ज्ञानवापी मामले में वर्शिप एक्ट की दुविधा खत्म, जानें इस कानून से जुड़ी छोटी से बड़ी हर बात…

कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि ज्ञानवापी केस सुनवाई के योग्य है. इस केस पर सुनवाई न करने के लिए बार-बार मुस्लिम पक्ष की ओर से उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम यानी Places of worship (special provisions) act 1991 का हवाला दिया जा रहा था. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जिस वर्शिप एक्ट आखिर है क्या?

Explainer Worship Act 1991: ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Case) में वाराणसी कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि ज्ञानवापी केस सुनवाई के योग्य है. इस केस पर सुनवाई न करने के लिए बार-बार मुस्लिम पक्ष की ओर से उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम यानी Places of worship (special provisions) act 1991 का हवाला दिया जा रहा था. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जिस वर्शिप एक्ट के आधार पर ज्ञानवापी मामले को सुनवाई के दायरे से बाहर करने की मांग की जा रही थी, वह आखिर है क्या?

क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट?

इस कानून को 1991 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार के समय बनाया गया था. इस कानून के तहत 15 अगस्त् 1947 से पहले मौजूद किसी भी धर्म की उपासना स्थ ल को किसी दूसरे धर्म के उपासना स्थेल में नहीं बदला जा सकता. इस कानून में कहा गया कि अगर कोई ऐसा करता है तो उसे जेल भेजा जा सकता है. कानून के मुताबिक आजादी के समय जो धार्मिक स्थल जैसा था वैसा ही रहेगा.

क्यों पड़ी इस कानून की जरूरत?

दरअसल, 1991 के दौरान राम मंदिर का मुद्दा काफी जोरों पर था. देश में रथयात्रा निकाली जा रही थी. राम मंदिर आंदोलन के बढ़ते प्रभाव के चलते अयोध्या के साथ ही कई और मंदिर-मस्जिद विवाद उठने लगे. इससे पहले 1984 में एक धर्म संसद के दौरान अयोध्या, मथुरा, काशी पर दावा करने की मांग की गई थी. इन्हीं मुद्दों को लेकर सरकार पर जब दवाब बढ़ने लगा तो इसे कानून को लाया गया.

कानून में किन-किन बातों का है प्रावधान?

कानून में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति इन धार्मिक स्थलों में किसी भी तरह का ढांचागत बदलाव नहीं कर सकता है. इसका मतलब न तो इन्हें तोड़ा जा सकता है और ना ही नया निर्माण किया जा सकता है. कानून में यह भी लिखा है कि अगर ये सिद्ध भी हो जाए कि वर्तमान धार्मिक स्थल को इतिहास में किसी दूसरे धार्मिक स्थल को तोड़कर बनाया गया था, तो भी उसके वर्तमान स्वरूप को बदला नहीं जा सकता है. इसके अलावा धार्मिक स्थल को किसी दूरे पंथ से स्थल में भी नहीं बदला जाएगा. हालांकि, इस कानून के दायरे से अयोध्या विवाद को दूर रखा गया. इसके पीछे तर्क दिया गया कि यह मामला अंग्रेजों के समय से कोर्ट में था. ऐसे में इसे इस कानून से अलग रखा जाएगा.

Also Read: Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की याचिका स्‍वीकार, कोर्ट ने कहा- मुकदमा सुनने योग्य
वर्शिप एक्ट का कहां-कहां है विवाद?

  • ताजमहल: आगरा में ताजमहल को लेकर दावा है कि यहां पहले शिवमंदिर था. ऐसे में तेजोमहालय के लेकर नया विवाद छिड़ा है.

  • शाही ईदगाह मस्जिद: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के बराबर में स्थित इस मस्जिद भी मंदिर को तोड़कर बनाने का दावा किया गया है.

  • भोजशाला: धार में हिंदुओं के मंदिर पर मस्जिद बनाने का मामला विवाद में है. यहां नमाज पर रोक लगा पूरा परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग की जा रही है.

  • कुतुबमीनार: दिल्ली में कुतुबमीनार का नाम बदलकर विष्णु स्तंभ रखने की मांग की जारी है. यहां भी हिंदू मंदिर का दावा किया जा रहा है.

  • अटाला मस्जिद: जौनपुर में अटला देवी के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा किया गया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें