लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले हैं. संभवत: ऐसी अप्रत्याशित जीत की उम्मीद भाजपा को भी नहीं थी, यही कारण है कि भाजपाई आनंद में ओत-प्रोत हैं. इस चुनाव परिणाम में जो बात चौंकाने वाली है, उसमें से एक है मुसलिम बहुल इलाके में भाजपा की जीत. आंकड़े बता रहे हैं कि जहां मुसलमानों की आबादी 20 या 30 प्रतिशत है, वहां मुस्लिम पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा वोट किया. जानकारों की मानें तो भाजपा ने ‘ट्रिपल तलाक’ का मुद्दा उठाकर मुसलिम महिलाओं को अपने पक्ष में कर लिया है, जिसका सीधा असर चुनाव में पड़ा और नि: संदेह भाजपा फायदे में रही.
आधी आबादी को लुभाना फायदे का सौदा
महिला सशक्तीकरण के इस युग में देखा जा रहा है कि महिलाएं अपना हित देखकर वोट कर रही हैं. यही कारण है कि राजनीतिक दल उन्हें लुभाने में जुटे हैं. बिहार चुनाव में नीतीश कुमार के महागठबंधन को मिली अप्रत्याशित जीत इस बात का प्रमाण है. शराबबंदी के मुद्दे पर महिलाओं ने जिस तरह से नीतीश कुमार का साथ दिया, उससे नीतीश कुमार को प्रचंड बहुमत मिला. अब यह कहा जा रहा है कि यही ट्रेंड उत्तर प्रदेश में भी दिखा, खासकार मुस्लिम मतदाताओं में. ‘ट्रिपल तलाक’ का मुद्दा उठाकर भाजपा मुस्लिम महिलाओं की हितैषी बन गयी और सत्ता तक पहुंच गयी.
यूपी चुनाव से पहले ही उठाया गया ‘ट्रिपल तलाक’ का मुद्दा
‘ट्रिपल तलाक’ को महिलाओं के शोषण का कारण बताकर भाजपा और केंद्र सरकार ने इसे समाप्त करने की बात उठायी. जिसपर उन्हें मुसलमान महिलाओं का समर्थन भी मिला. हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मुद्दे पर भाजपा का विरोध करता रहा है. साथ ही यह आरोप भी लगाया गया है कि ‘ट्रिपल तलाक’ के मुद्दे पर भाजपा राजनीति कर रही है. अभी यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है.