मथुरा : उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में एक मां ने पति की हत्या के बाद देवर से अवैध संबंधों में बाधक बने अपने छह वर्षीय अबोध बेटे को केवल इसलिए मार डाला, क्योंकि वह उनके बीच का राज जान गया था.
इतना ही नहीं अनुसूचित जाति का होने की वजह से बेटे की हत्या के मुआवजे के तौर वह साढ़े आठ लाख रुपये भी लेना चाहती थी और इसकी पहली किस्त भी ले चुकी थी. महिला इससे पहले अपने पिता की हत्या होने पर सरकार से मुआवजा पा चुकी थी.
इस मामले में मृत बालक प्रिंस की मां ने रंजिशन एक साजिश गढ़ते हुए अपने पारिवारिक विरोधियों को नामजद कर उनमें से एक को जेल भिजवा दिया था तथा अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मिलने वाली सहायता के लिए आवेदन कर पहली किस्त के रूप में चार लाख रुपये भी सरकार से हासिल कर लिये थे.
एसपी देहात आदित्य कुमार शुक्ला ने गुरुवार को इस पूरे मामले का खुलासा करते हुए बताया कि जब जांच में सभी आरोपी निर्दोष साबित होते दिखे तो नादान बालक की इरादतन हत्या की पहेली को सुलझाने के लिए नये सिरे से जांच करायी गयी.
तब शक की सुई देवर-भाभी की ओर मुड़ने लगी. जिसे मोबाइल सर्विलांस ने भी काफी पुष्ट कर दिया. उन्होंने बताया, उनसे सख्ती से पूछताछ की गयी तो पूरी कहानी समझ में आ गयी.
मामले बेहद चौंकाने वाला था क्योंकि, इसी वर्ष पिता को खो चुके बच्चे की मां ने उसे केवल इसलिए मार दिया, क्योंकि वह उसके व चाचा के बीच के संबंधों का राज जान गया था.
शुक्ला ने बताया, नौहझील क्षेत्र के भैरई गांव में 19 जुलाई को अनुसूचित जाति के परिवार के छह वर्षीय पुत्र प्रिंस का शव गांव के कुएं में पड़ा मिला. उसकी मां गुड्डी ने गांव के आधा दर्जन लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करा दी. जिसके चलते पुलिस ने 21 अगस्त को एक नामजद आरोपी बच्चू को पकड़कर जेल भेज दिया था.
इस मामले की जांच में पुलिस को आरोप सही नहीं मिले. गांव वाले भी पुलिस की थ्योरी को तस्दीक कर रहे थे. गांव में हुई महापंचायत में पुलिस से दुबारा भली प्रकार से जांच कराये जाने की मांग की गयी. तब, गहन विवेचना के पश्चात गुड्डी और उसका देवर आकाश ही दोषी निकले.
हत्या की साजिश एवं सरकारी रुपया दिलाने में भागीदार राजाबाबू आजाद अभी पुलिस की पकड़ से दूर है. उसकी तलाश जारी है. इस घटना से छह माह पूर्व गुड्डी के पति सुभाष की गांव के ही कुछ लोगों ने हत्या कर दी थी. जिसमें मुकेश पंडित को नामजद किया गया तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
उस समय उसे सहायता राशि के रूप में साढ़े आठ लाख रुपये मिले थे. इस बार भी बेटे की हत्या होने पर सवा चार लाख की रकम पा चुकी थी और बाकी रकम मिलने का इंतजार कर रही थी.