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जब शिक्षक एमडीएम से अलग हैं, तो कार्रवाई क्यों

वेतन बंद करने को लेकर आरडीडीइ से मिला शिक्षक संघ मामला एमडीएम एसएमएस का चक्रधरपुर : एमडीएम एसएमएस नहीं करने पर जिले भर के शिक्षकों का वेतन बंद करने के मामले को झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने गंभीरता से लिया है. मामले पर मंगलवार को संघ का एक शिष्टमंडल आरडीडीइ अरविंद विजय बिलुंग से […]

वेतन बंद करने को लेकर आरडीडीइ से मिला शिक्षक संघ

मामला एमडीएम एसएमएस का
चक्रधरपुर : एमडीएम एसएमएस नहीं करने पर जिले भर के शिक्षकों का वेतन बंद करने के मामले को झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने गंभीरता से लिया है. मामले पर मंगलवार को संघ का एक शिष्टमंडल आरडीडीइ अरविंद विजय बिलुंग से मिला और एसएमएस में आनी वाली परेशानियों की जानकारी दी. बताया गया कि उपकरण दोष, लिंक, साइबर ठप रहने समेत ऐसे कई कारण हैं, जिससे एसएमएस नहीं हो पाता है. सुदूरवर्ती क्षेत्रों के स्कूलों में किसी भी मोबाइल कंपनी का टावर नहीं पकड़ता है.
इन कारणों ने एसएमएस नहीं हो पाता है. इसलिए एसएमएस नहीं किये जाने का केवल शिक्षक ही दोषी नहीं है. ऐसे शिक्षकों का वेतन बंद नहीं होना चाहिए. वेतन बंद ही करना था, तो संबंधित शिक्षकों से बैठक कर कारण की जानकारी ली जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और सीधे वेतन बंद कर दिया गया.
वेतन कटौती गलत
संघ की ओर से आरडीडीइ को सौंपे गये मांग पत्र में कहा गया है कि डीएसइ द्वारा पहले वेतनमान की मंजूरी दी गयी, फिर उसी आधार पर शिक्षकों का वेतन निकाला गया. फिर अधिक वेतन निकासी के नाम पर उनका वेतन भी स्थगित कर दिया गया है. यह वेतन तब तक स्थगित रखा गया है, जब तक अधिक वेतन निकासी वसूल नहीं कर लिया जाता है. अब अगर शिक्षकों का वेतन ही बंद रहेगा, तो वह वसूली कैसे हो पाये. आरडीडीइ से मिलने जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में श्रवण कुमार मिश्र, विश्वनाथ प्रधान, डॉ मंगलेश पाठक, शशिकला पुरती आदि शामिल थे.
दोहरी नीति पर विचार करने की जरूरत : श्रवण
संघ के प्रदेश वरीय उपाध्यक्ष श्रवण कुमार मिश्रा आरडीडीइ से मिलने के बाद कहा आरडीडीइ ने संघ की सभी बातों को गंभीरता से लिया है. उन्होंने कहा कि जब शिक्षकों को एमडीएम से अलग कर दिया गया है, तो फिर उन्हें एसएमएस की जिम्मेदारी क्यों दी गयी है. अध्यक्ष या संयोजिका इस काम को भलीभांति कर सकती हैं. असल में शिक्षकों को केवल मॉनीटरिंग करने के नाम पर हर काम लिया जा रहा है. चावल उठाव से हिसाब किताब तक सब शिक्षक ही रख रहे हैं. विभाग को इस दोहरी नीति पर विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बहुत से मुसलिम शिक्षकों का वेतन बंद कर दिया गया है. साल का सबसे बड़ा त्योहार ईद और पवित्र रमजान महीने में भी उन्हें बिना वेतन के गुजारना पड़ रहा है.

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