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सिमडेगा के इस गाव में पांच साल पहले लगा था बिजली का पोल, लेकिन न बिजली पहुंची न पेयजल की सुविधा

नया टोली गांव के ग्रामीण उपायुक्त से लेकर विधायक और विद्युत विभाग में आवेदन देकर थक चुके हैं. किंतु आवेदन देने के बाद भी विद्युत पोल तार विहीन खड़ा होकर गांव वालों का मुंह चिढ़ा रहा है. नयाटोली गांव के कुछ ही दूरी पर दूसरे गांव में बिजली की चकाचौंध से गांव रोशन हो रहा है. किंतु नयाटोली गांव अंधेरे के आगोश में है. ग्रामीणों को एक लीटर मिट्टी तेल मिलता है.

सिमडेगा : सिमडेगा शहरी क्षेत्र व गांव की सरकार की सीमा पर कस्तूरबा विद्यालय के निकट बसा है बरपानी का नया टोली गांव. नयाटोली गांव में लगभग 20 परिवार रहते हैं, किंतु गांव के लोग आज भी अंधेरे में रहते हैं और डोभा का गंदा पानी पीते हैं. शहरी क्षेत्र के मुहाने पर रहने के बावजूद नयाटोली गांव के लोग पिछले 15 वर्षों से अंधेरे में जीवन गुजार रहे हैं. गांव वालों का कहना है कि पांच वर्ष पूर्व काफी मिन्नत और जी हुजूरी करने के बाद विभाग द्वारा विद्युत पोल लगाया गया. किंतु तार आज तक पोल में नहीं लगा है.

नया टोली गांव के ग्रामीण उपायुक्त से लेकर विधायक और विद्युत विभाग में आवेदन देकर थक चुके हैं. किंतु आवेदन देने के बाद भी विद्युत पोल तार विहीन खड़ा होकर गांव वालों का मुंह चिढ़ा रहा है. नयाटोली गांव के कुछ ही दूरी पर दूसरे गांव में बिजली की चकाचौंध से गांव रोशन हो रहा है. किंतु नयाटोली गांव अंधेरे के आगोश में है. ग्रामीणों को एक लीटर मिट्टी तेल मिलता है.

जिसका उपयोग गांव के लोग खाना बनाने में करते हैं. इसके बाद घर में अंधेरा छा जाता है. घर के लोग रात भर अंधेरे में गुजारते हैं. अंधेरा होने के कारण स्कूल तो बंद है ही घर में भी बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. शाम होते ही लोग सो जाते हैं. मोबाइल रिचार्ज करने के लिए भी लोगों को दूसरे टोली में जाना पड़ता है. गांव के लोग अधिकतर मजदूरी करते हैं. गांव के लोगों को शहर के करीब होने के बावजूद शुद्ध पेयजल नसीब नहीं है.

गांव के लगभग 20 परिवार खेत में बने एक डोभा से गंदा पानी लाते हैं और उसे ही पीने के रूप में इस्तेमाल करते हैं. गांव में सरकार द्वारा एक भी चापाकल नहीं खोदा गया है. गांव में तक रोड की पहुंच कर बात करना पूरी तरह से बेमानी होगी. गांव के लोग पूरी तरह से सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं.

गांव के लोग लगातार विधायक उपायुक्त और बिजली विभाग से पत्राचार करते करते थक गये हैं. गांव के लोगों को इंतजार है कि वह शुभ दिन कब आये जब उनके गांव में बिजली जले, शुद्ध पेयजल के लिए चापाकल मिले या सोलर जलमीनार मिले. इसका इंतजार गांव के लोगों को है. गांव के बच्चे बूढ़े और नौजवान सभी लोगों ने प्रशासन और बिजली विभाग से मांग की है कि वे लोग शहरी क्षेत्र के एकदम मुहाने पर है, इसके बावजूद सरकार की कोई भी योजना उनके गांव में नहीं है. अतः अधिकारी इस मामले को संज्ञान में लेते हुए नया टोली गांव में भी विकास की रोशनी पहुंचाने का काम करें

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