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पांगुर नाला में पुल नहीं रहने से बारिश में प्रखंड मुख्यालय से कट जाता है गांव

प्रखंड से लगभग बीस किमी दूर कर्रादमाइर गांव विकास की बाट जोह रहा है

धर्मवीर सिंह, बानो प्रखंड से लगभग बीस किमी दूर कर्रादमाइर गांव विकास की बाट जोह रहा है. आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद जाने के बाद भी गांव में बुनियादी सुविधा का अभाव है. पांगुर नाला में पुल नहीं होने के कारण बरसात के दिनों में गांव पंचायत व प्रखंड मुख्यालय से कट जाता है. पिछले साल सांप काटने के कारण दो लोगों को अस्पताल ले जाने के क्रम में पुल के अभाव में मृत्यु हो गयी थी. घटना के बाद प्रशासन हरकत में आया था. 2024 में पुल निर्माण के लिए प्रशासन ने प्रयास किया. लेकिन पुल नहीं बन सका. पुल निर्माण हेतु स्थल निरीक्षण और नापी भी प्रशासन ने कराया था. कुछ दिनों में बरसात पहुंचने वाली है. ऐसे में लोगो की चिंता भी से बढ़ गयी है. बरसात के कारण तीन महीना गांव टापू में तब्दील हो जाता है. पुल नहीं रहने के कारण गांव तक चार पहिया वाहन नहीं पहुंच पाता. बरसात के दिनों में स्थिति और बिगड़ जाती है. जब कोई बीमार होता है, तो उसे खटिया पर लाद कर पांगुर नाला पार कराकर मुख्य सड़क तक लाया जाता है. बच्चे व ग्रामीण बरसात के दिनों में गांव से कहीं नहीं आना जाना नहीं कर पाते है. बच्चों व ग्रामीणों को नाला में तैर कर पार करके आना जाना पड़ता है. एक ओर गांव तक पहुंचने के रास्ते में के पांगुर नाला पड़ता है, वहीं दूसरी छोर पर देवनदी होने के कारण बरसात के दिनों में लगभग तीन महीना गांव टापू बन जाता है. गांव की आबादी लगभग 200 है. गांव में मुंडा, रौतिया, लोहरा व भुइयां जाति के लोग रहते हैं. गांव का मुख्य पेशा खेती बारी व जंगली कंदमुल से जीवकार्पाजन होता है. बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए हुरदा 15 किमी व बानो बीस किमी जाना पड़ता है. बरसात में बच्चों का स्कूल आना जाना बंद हो जाता है. वहीं बरसात में प्राइमरी स्कूल भी प्रभावित हो जाता है. गांव में पेयजल हेतु सोलर जल मीनार लगाया गया है. गर्मी में सोलर जलमीनर में पानी सूख जाने का कारण परेशानी हो रही है. गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क बनायी गयी है. पांगुर नाल में पुल नहीं रहने के कारण लोगों को परेशानी है. नेटवर्क की समस्या से ग्रामीणों को दो चार होना पड़ता है. गांव के सहदेव कोटवार ने बताया कि पांगुर नाल में पुल नहीं रहने कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पुल नहीं रहने कारण परेशानी बढ़ जाती है. बीमार होने पर मरीजों को ससमय अस्पताल नहीं पहुंचा पाते हैं. जिससे मरीज की मौत हो जाती है. दुर्गा सिंह ने बताया कि पुल निर्माण के लिए यहां पर विभाग ने कई बार प्रयास किया, लेकिन अब तक पुल नहीं बना. जिससे गांव वालों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. सहिया सिसलिया कडुंलना ने बताया कि बरसात के दिनों में पांगुर नाल में पुल नहीं रहने कारण पंचायत और प्रखंड मुख्यालय से कट जाना पड़ता है. हालांकि ग्रामीणों की मदद से बरसाती नाला पार करने के लिए लकड़ी का पुल बनाया जाता है. मुन्नी देवी ने कहा कि उसे शिक्षा के लिए बच्चे हुरदा जाते है. बरसात में पंगुर नाल में पानी अधिक हो जाता है. जिससे बच्चे बरसात के दिनों में स्कूल नहीं जा पाते है. सुनीता देवी और किरण देवी ने बताया कि पुल नहीं रहने के कारण बरसात के दिनों में गांव टापू में तब्दील हो जाता है.

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