कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र में 20 दिसंबर को उपचुनाव होना है. कोलेबिरा सीट के विधायक एनोस एक्का को पारा शिक्षक हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाये जाने के बाद यह सीट खाली हो गयी है.
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VIDEO : कोलेबिरा उपचुनाव का दंगल, क्या रहा है इतिहास, किनके बीच है टक्कर
कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र में 20 दिसंबर को उपचुनाव होना है. कोलेबिरा सीट के विधायक एनोस एक्का को पारा शिक्षक हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाये जाने के बाद यह सीट खाली हो गयी है. पांच उम्मीदवार हैं मैदान में कोलेबिरा उपचुनाव के लिए पांच उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें झापा की मेनन एक्का, कांग्रेस […]
पांच उम्मीदवार हैं मैदान में
कोलेबिरा उपचुनाव के लिए पांच उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें झापा की मेनन एक्का, कांग्रेस के विक्सल कोंगाड़ी, भाजपा के बसंत सोंरेंग, राष्ट्रीय सेंगेल पार्टी के अनिल कंडुलना और निर्दलीय विनोद डुंगडुंग शामिल हैं.
क्या है समीकरण
20 दिसंबर को मतदान के बाद 23 दिसंबर को मतगना होगी. यह सीट खूंटी लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत है. इस सीट का चुनाव काफी रोचक है. एनोस एक्का ने यह सीट 17 हजार वोटों के अंतर से जीता था. जेल में बंद पूर्व विधायक एनोस एक्का के गढ़ में सेंधमारी के लिए सभी पार्टियां जोर लगा रही है. कांग्रेस और झारखंड पार्टी (झापा) की कांग्रेस की लड़ाई में भाजपा भी बाजी मारने के फिराक में है.
ईसाई वोटरों का है दबदबा
कोलेबिरा रिजर्व सीट है और इस सीट पर ईसाई वोटरों का दबदबा है. एनोस खुद ईसाई हैं और उनकी पकड़ इलाके में पकड़ है, यही कारण है कि वे पिछले तीन बार से यहां चुनाव जीत रहे थे, इस बार उन्होंने अपनी पत्नी मेनन एक्का को उतारा था. मेनन एक्का ने पिछला चुनाव सिमडेगा से लड़ा था, लेकिन भाजपा की विमला प्रधान से हार गयीं थीं.
पिछले तीन बार से एनोस एक्का हैं विधायक
कोलेबिरा विधानसभा सीट पर झारखंड पार्टी (झापा) व कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा है. पिछले तीन चुनाव से लगातार झापा के एनोस एक्का चुनाव जीत रहे हैं. इस सीट पर कांग्रेस भी तीन बार चुनाव जीत चुकी है. 1977 के बाद से अब तक इस सीट पर न तो भाजपा और न ही झामुमो का उम्मीदवार चुनाव जीत पाया है. ऐसे में लगातार दो बार से टक्कर दे रही भाजपा के लिए यह सीट जीतना एक बार फिर चुनौती होगी. हालांकि, उप चुनाव में इस बार झामुमो ने अपना प्रत्याशी नहीं खड़ा किया है. झामुमो झापा प्रत्याशी मेनन एक्का को समर्थन कर रहा है. पिछले तीन चुनाव में झारखंड पार्टी के एनोस एक्का ने लगातार जीत दर्ज की है.
क्या है सीट का इतिहास
2014 में एनोस एक्का ने भाजपा के मनोज नगेसिया व 2009 में भाजपा के महेंद्र भगत को हरा कर चुनाव जीता था. वर्ष 2000 में हुए चुनाव में कांग्रेस के थियोडर किड़ो ने भाजपा के निर्मल बेसरा को पराजित किया था. कांग्रेस के थियोडर किड़ो 1990 में भी चुनाव जीते थे. झापा को लगातार दो बार से टक्कर दे रही भाजपा के लिए यह सीट जीतना एक बार फिर चुनौती है.
कांग्रेस कर रही ईसाई वोटरों को मैनेज
इस सीट को अपने खाते में करने के लिए कांग्रेस ने थियोडर किड़ो और बेंजामिन लकड़ा जैसे उम्मीदवारों को उतारा है. साथ ही झाविमो के बंधु तिर्की भी कांग्रेस के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं.
जिसके कारण कांग्रेस के उम्मीदवार विक्सल कोंगाड़ी के पक्ष में माहौल बन रहा है. वे जल, जंगल, जमीन के अभियान से जुड़े रहे हैं, जिसके कारण उनकी स्वीकार्यता भी है.
भाजपा के बसंत सोरेंग की है साफ सुथरी छवि
भाजपा के उम्मीदवार बसंत सोरेंग खड़िया समाज के नेता हैं. उनकी साफ-सुथरी छवि को सामने करके भाजपा अपनी गोटी लाल करना चाहती है. उसका टारगेट ग्रुप खड़िया और गैर ईसाई वोटर हैं. राजद झापा के साथ है, जो एक चौंक़ाने वाला निर्णय है क्योंकि पहले राजद ने एनोस का विरोध किया है. राजद का यह फैसला कांग्रेस के लिए झटका है.
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