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Saraikela News: बाबा गर्भेश्वरनाथ की पूजा कर महिलाओं ने व्यंजन का लुत्फ उठाया

सरायकेला. खरकई नदी के बीचोंबीच मिर्गी चिंगड़ा में महिलाओं का पारंपरिक मेला आयोजित

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खरसावां.सरायकेला के खरकई नदी के बीचोंबीच शनिवार को महिलाओं के लिए मिर्गी चिगड़ा मेला लगा. मकर संक्रांति के बाद पहले शनिवार को लगने वाले इस मेले में सरायकेला, खरसावां, राजनगर, जमशेदपुर, सीनी के साथ ही पड़ोसी राज्य ओडिशा से भी महिलाएं पहुंची थीं. मेला में पहुंची महिलाओं ने खरकई नदी के बीचोंबीच स्थित चट्टानों पर मनपसंद व्यंजन का स्वाद लिया. यहां अलग-अलग टोली में महिलाएं पहुंची थीं. कई महिलाओं को यहां की मनोरम वादियों के बीच भोजन तैयार करते देखा गया. तो कई महिलाएं अपने घर से ही व्यंजन तैयार कर मेला में पहुंची थीं.

महिलाओं ने शाकाहारी भोजन किया

मेला में पहुंचीं महिलाओं ने शाकाहारी भोजन किया. यहां मांसहारी भोजन पर प्रतिबंध है. मेला में लगायी गयी अधिकतर दुकानें महिलाएं संचालित कर रही थीं. शनिवार को सुबह से शाम तक बच्चों के साथ महिलाओं का मिर्गी चिंगड़ा में आना-जाना लगा रहा. मेला का दिनभर आनंद उठाने के बाद महिलाएं शाम को घर लौट गयीं.

बाबा गर्भेश्वरनाथ की हुई पूजा

मिर्गी चिंगड़ा में शनिवार को बाबा गर्भेश्वरनाथ की पूजा-अर्चना कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की गयी. यहां पहुंची महिलाएं पहले नदी के बीचोंबीच स्थित बाबा गर्भेश्वरनाथ की पूजा-अर्चना की. फिर मेला में घूमने के साथ पारंपरिक भोजन का लुत्फ उठाया. बड़ी संख्या में बच्चे खरकई नदी में डुबकी लगाते भी देखे गये. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से पूजा करते हैं, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. मान्यता है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के समय कुंती अपने पांचों पुत्रों के साथ विश्राम किया था. पत्थरों पर उभरे उनके पदचिह्न आज भी मौजूद हैं.

बदल रहा मिर्गी चिंगड़ा मेला का स्वरूप

क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि महिला मेला में पुरुषों का प्रवेश हमेशा से वर्जित रहा है. लेकिन वर्तमान में महिलाओं के इस मेला में पुरुष भी पहुंच रहे हैं. आज भी मेला में इक्का-दुक्का पुरुषों को देखा गया. हालांकि, अब भी महिलाओं की संख्या काफी अधिक थी.

कोट :

— मिर्गी चिंगड़ा का मेला हमारी परंपरा से जुड़ा है. इस बार भी यहां पहुंच कर पहले बाबा गर्भेश्वरनाथ की पूजा की. फिर सगे-संबंधियों के साथ पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ उठाया. -मालिनी देवी, सरायकेला– मिर्गी चिंगड़ा मेला हमारी ऐतिहासिक विरासत से जुड़ा है. ऐसे आयोजनों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. भले ही मेला में अब पुरुष पहुंचने लगे हैं, लेकिन अब भी इस मेले का आयोजन महिलाओं को केंद्रित कर किया जाता है. -सोमवती देवी, राजनगर

— मिर्गी चिंगड़ा मेले में हर वर्ष पहुंचना रोमांचित करता है. मेला में कई महिलाओं से जान पहचान होती है. साथ ही सुख-दुख को एक-दूसरे से साझा करते हैं. यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता भी सुकून देती है. मीनाक्षी मंडल, सरायकेला

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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