Teacher’s Day: खरसावां (सरायकेला-खरसावां), शचिंद्र कुमार दाश-झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के कुचाई प्रखंड की पहाड़ियों की तलहटी में संचालित उत्क्रमित उच्च विद्यालय (मेरोमजंगा) में पदस्थापित शिक्षक वृजेश्वर कुमार द्विवेदी ने इस सरकारी स्कूल का कायाकल्प कर दिया है. पहले यह झोपड़ीनुमा था. शिक्षक ने अपने वेतन के पैसे से इसकी मरम्मत करायी. दृढ़ इच्छाशक्ति से इन्होंने पोषक क्षेत्र को जीरो ड्रॉप आउट बनाने में भी सफलता हासिल की.
अभिभावकों और बच्चों को स्कूल से जोड़ा
वर्ष 2022 में बृजेश्वर कुमार द्विवेदी का प्रतिनियोजन मेरोमजंगा स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में हुआ. तब इस स्कूल में (कक्षा एक से आठ तक) 28 बच्चे नामांकित थे, परंतु इसमें से अधिकतर बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं आते थे. मेरोमजंगा व आस पास के गांवों में शिक्षा के बेहतर माहौल बनाने के लिए शिक्षक वृजेश्वर कुमार द्विवेदी ने शिक्षा के प्रति बच्चों को मोटिवेट करते हुए सीमित संसाधन में रचनात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया. उन्होंने ग्राम सभा की बैठक बुलाकर लोगों से अपने बच्चों को स्कूल भेजने का आग्रह किया तब ग्रामीणों ने शिक्षक के सामने एक शर्त रख दी कि स्कूल भवन ठीक-ठाक से बनने के बाद ही बच्चों को भेजेंगे. उस समय यह स्कूल दो कमरे की कच्ची झोपड़ी में चलता था. इस पर वृजेश्वर कुमार द्विवेदी ने अपने वेतन के पैसों से झोपड़ीनुमा स्कूल की मरम्मत करायी.
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अब रोजाना स्कूल जाते हैं बच्चे
शिक्षक वृजेश्वर कुमार द्विवेदी ने स्कूल के पोषक क्षेत्र में गांव-गांव अभियान चलाकर और अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया. इसका असर भी दिखाई दिया. लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने लगे. अब पहाड़ी क्षेत्र में बसा मेरोमजंगा गांव जीरो ड्रॉप आउट बन गया है. सभी बच्चे रोजाना स्कूल जाते हैं.
एक ही शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहा है स्कूल
कुचाई का उत्क्रमित उच्च विद्यालय मेरोमजंगा एक ही शिक्षक वृजेश्वर कुमार द्विवेदी के भरोसे संचालित है. स्कूल में पूर्व में एक सहायक शिक्षक (पारा शिक्षक) भी पदस्थापित थे, परंतु तीन माह पूर्व ही उनका निधन हो गया है. यहां आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक वृजेश्वर कुमार द्विवेदी छुट्टी के दिनों में भी बच्चों को अतिरिक्त क्लास लेते हैं. वर्ष 2018 में इस स्कूल को अपग्रेड कर उत्क्रमित उच्च विद्यालय में तब्दील कर दिया गया, लेकिन कक्षा 9वीं की पढ़ाई 2024 से शुरू हुई. अभी स्कूल में 116 बच्चे नामांकित हैं. यहां से 11 बच्चे मैट्रिक की परीक्षा देंगे. पिछले वर्ष सरकार की ओर से दो कमरे बनवाए गए थे. शिक्षक वृजेश्वर कुमार द्विवेदी के प्रयास से इस पहाड़ी क्षेत्र के बच्चे अब बेहतर भविष्य के सपने बुन रहे हैं. चार कमरों में पूरा स्कूल संचालित हो रहा है.

