12.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

seraikela kharsawan news: स्वरोजगार की आस में आदिम जनजाति, आजीविका बनी बड़ी चुनौती

कुचाई के जोड़ासरजम बिरहोर टोला में प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम आयोजित

खरसावां. सरायकेला-खरसावां जिला के कुचाई प्रखंड के जोड़ासरजम बिरहोर टोला में प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों ने अपनी समस्याएं रखीं. टोला में आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के लोगों की संख्या अधिक है. वे आजीविका के लिए सरकारी योजनाओं से कोसों दूर हैं. वे पेड़ की छाल व सीमेंट की बोरी से रस्सी बनाकर बाजार में बेचते हैं. पत्तल बनाने व जंगल से सूखी लकड़ियां चुनकर बाजार में बेचते हैं. साथ ही गांव के कुछ लोग मजदूरी कर अपनी आजीविका चलाते हैं. बिरहोर समुदाय के लोग सरकार से आजीविका उपलब्ध कराने की आस लगाये बैठे हैं. गांव के 20 लोगों का अभी तक आधार कार्ड तक नहीं बना है. ग्रामीण बताते हैं कि मुर्गा, बतख, बकरी, सूकर पालन कर वे स्वरोजगार से जुड़ना चाहते हैं. कुछ वर्ष पूर्व भी उन्हें पशुपालन के लिए बकरियां दी गयी थीं, जो बीमारी से मर गयीं. वे फिर से पशुपालन करना चाहते हैं.

रोजगार की तलाश में पलायन कर गये सात परिवार

जोड़ासरजम गांव के सात परिवार काम की तलाश में दूसरे प्रदेशों में पलायन कर गये हैं. जोड़ा सरजम गांव में सिर्फ एक युवती मुंगली बिरहोर स्नातक पास है. वह भी काम करने के लिए बेंगलुरु चली गयी है. वहीं बीरगामडीह गांव से ब्याह कर आयी एक बहू मैट्रिक पास है. बाकी लोग मुश्किल से अपना नाम लिख पाते हैं. पर वे अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं. गांव में एक आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण कराया जा रहा है. लेकिन गांव में इंटर पास महिला नहीं होने के कारण सेविका चयन में अड़चन आ रही है.

पांच साल पहले बने बिरसा आवास की दीवारों में आयी दरारें

जोड़ासरजम गांव के बिरहोर समुदाय के लोगों को वर्ष 2018-19 में बिरसा आवास योजना के तहत पक्का मकान बना कर दिया गया था. पर निर्माण कार्य में गुणवत्ता के अभाव के कारण पांच वर्षों में ही इन घरों की दीवारों पर दरारें आ गयी हैं. छत के प्लास्टर भी टूट रहे हैं. गांव के तीन परिवारों का अभी पक्का मकान नहीं बन पाया है. मोहल्ले के भीतर की सड़क भी जर्जर है. गंदगी की भरमार है.

44 साल से जोड़ासरजम में रह रहे बिरहोर परिवार

जोड़ासरजम गांव के लोगों ने बताया कि करीब 44 साल पहले कुचाई के चंपद गांव के सात लोग रामेश्वर बिरहोर, वंदना बिरहोर, बितन बिरहोर, खागे बिरहोर, चैतन बिरहोर, एतवा बिरहोर व बेड़ेड़ीह बिरहोर को बिहार सरकार ने तीन-तीन एकड़ जमीन जोड़ा सरजम में दी थी. इसके बाद से इन लोगों का परिवार जोड़ा सरजम में बस गया. अब सात से बढ़कर 17 परिवार हो गये हैं. जबकि इनकी कुल आबादी 64 है.

ग्रामीणों के बोल

पेडों की छाल व सीमेंट की बोरी की सुतली से रस्सी बनाकर बाजार में बेचते हैं. इससे किसी तरह गुजर-बसर होता है. सरकार स्वरोजगार की व्यवस्था करे. -मंगल बिरहोर, ग्रामीण

सात परिवार रोजगार की तलाश में बेंगलुरु चले गये हैं. बाकी लोग सुतली बनाने से लेकर मजदूरी का काम करते हैं. पशुपालन कर स्वरोजगार करना चाहते हैं. गुरबा बिरहोर, ग्रामीण

पुश्तैनी कार्यों से परिवार चलाने में परेशानी हो रही है. मुर्गा, बतख, बकरी, सूकर पालन कर स्वरोजगार करना चाहते हैं. इसके लिए प्रशासन पहल करे. -सानिका बिरहोर, ग्रामीण

मोहल्ले के भीतर की सड़क खराब हो गयी है. बारिश के दिनो में प्रवेश द्वार में ही जलजमाव होने से परेशानी होती है. पीसीसी सड़क को दुरुस्त किया जाये. -पूजा बिरहोर, ग्रामीण

पूर्व में बने बिरसा आवास की दीवारों में दरार आ गयी है. कई घरों की छत के प्लास्टर गिर रहे हैं. तीन लोगों का घर नहीं है. सभी को नये सिरे से आवास दिया जाए. इतवारी बिरहोर, ग्रामीण

मेरे साथ गांव के करीब 20 लोगों का अभी तक आधार कार्ड नहीं बना है. आधार कार्ड नहीं रहने से योजनाओं का लाभ लेने में परेशानी होती है. सुनील बिरहोर, ग्रामीण

गांव में रोजगार के ठोस साधन नहीं हैं. सरकार आजीविका की व्यवस्था करें, जिससे परिवार का भरण-पोषण हो सके. -अशोक बिरहोर, ग्रामीण

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel