खरसावां.
चाईबासा-चक्रधरपुर मुख्य सड़क (एनएच-75) पर हो समाज की भाषा-संस्कृति के संरक्षक, वारंगक्षिति लिपि के खोजकर्ता ‘कोल गुरु’ लाको बोदरा की स्मृति में एक आदमकद पत्थर की मूर्ति स्थापित करने की पहल की गयी है. इसको लेकर आदिवासी हो समाज संस्कृति उत्थान समिति ने डीसी को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में कहा कि स्थानीय ग्रामीण, हो समाज की संस्कृति उत्थान समिति, मानकी, मुंडा, दिउरी एवं अन्य समाजसेवियों द्वारा सर्वसम्मति से चाईबासा-चक्रधरपुर एनएच-75 मार्ग पर खरसावां जाने वाली सड़क के चौराहे (उलिगुटू चौक) में कोल गुरु लाको बोदरा की प्रतिमा स्थापित की जाए. ज्ञापन में कहा कि कोल गुरु लाको बोदरा हो भाषा-संस्कृति के रक्षक रहे हैं. उनके द्वारा तैयार की गयी लिपि साहित्य (वारंगक्षिति लिपि) की कोल्हान के साथ ओड़िशा में भी पढ़ाई होती है. कोल गुरु लाको बोदरा हो समाज के लिए प्रेरणाश्रोत हैं. आने वाली पीढ़ी को उनके की कृतित्व से अवगत करने के लिये उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित की जायेगी, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी. ज्ञापन सौंपने वालों में राम होनहागा, जयद्रथ दोंगो, सोमनाथ पुरती, नाजिर जामुदा, खेतरो मोहन जामुदा, सुखदेव बोदरा, सुमन होनहागा, रोशन जामुदा आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है