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चड़क पूजा शुरू, आज गरीया भार

पांच दिवसीय चड़क पूजा के विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान 13 भोक्ता के नेतृत्व में संपन्न होंगे खरसावां : खरसावां में मंगलवार से चड़क पूजा शुरू हो गयी. पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ चड़क पूजा के घट निकाले जा रहे हैं, जिन्हें मंदिरों में स्थापित कर पूजा-अर्चना की जा रही है. चैत्र पर्व का आध्यात्मिक पहलू चड़क पूजा […]

पांच दिवसीय चड़क पूजा के विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान 13 भोक्ता के नेतृत्व में संपन्न होंगे

खरसावां : खरसावां में मंगलवार से चड़क पूजा शुरू हो गयी. पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ चड़क पूजा के घट निकाले जा रहे हैं, जिन्हें मंदिरों में स्थापित कर पूजा-अर्चना की जा रही है. चैत्र पर्व का आध्यात्मिक पहलू चड़क पूजा है. नौ अप्रैल को शुभ घट, दस को माथा घट व 11 अप्रैल को वृंदावनी घट निकाली गयी. रात को सोना नदी से भक्ताें द्वारा घट (कलश) निकाल कर शिव मंदिर में पूजा अर्चना कर जलाभिषेक किया गया. चड़क पूजा के यात्रा घट निकलने के पश्चात ही चैत्र पर्व व छऊ नृत्य का आयोजन किया जाता है.
राजा-राजवाड़े के जमाने से यह प्रथा चली आ रही है. खरसावां में आजादी के पूर्व चड़क पूजा का आयोजन राजा द्वारा किया जाता था, लेकिन आजादी के बाद उक्त पूजा का आयोजन राज्य सरकार करती है, जिसमें 30 हजार रुपये खर्च होंगे. चड़क पूजा में निकलने वाली पांच घटों को सोना नदी के घाट से ला कर बाजार साही स्थित शिव मंदिर पहुंचाया जाता है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वाह आज भी पूरी श्रद्धा से निभायी जाती है. पूजा आयोजन समिति के गोवर्धन राउत ने बताया कि चड़क पूजा में 13 भोक्ता इस पांच दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान को पूरा करेंगे. 12 अप्रैल शाम सात बजे शंकरजी का गरीया भार, 13 अप्रैल को जागरण व 14 अप्रैल को अहले सुबह ब्रह्ममुहूर्त में मां काली की कालिका घट निकाली जायेगी.

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