सरायकेला : रविवार की देर रात अखाड़ा माड़ा अनुष्ठान के साथ सरायकेला राजमहल में चैत्र पर्व छऊ उत्सव का आगाज हुआ. श्रीकलापीठ के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में छऊ नृत्य के लिए बनाये गये अखाड़ा में नृत्य के सृजनकर्ता भगवान नटराज की पूजा-अर्चना की गयी. इसके पश्चात छऊ के नये कलाकारों को प्रशिक्षण देने के लिए अखाड़ा में उतार कर परिखंडा नृत्य कराया गया. अखाड़ा में राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव, रानी अरुणिमा सिंहदेव, वार्ड सदस्य वंदना सिंह, छऊ निर्देशक मनोरंजन साहू आदि उपस्थित रहे. छऊ नृत्य से दो दिन पूर्व पारंपरिक अखाड़ा माड़ा रस्म को पूरा किया जाता है.
श्रीकलापीठ के मुख्य संरक्षक राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने बताया कि इस वर्ष का छऊ नृत्य महाराजा स्व. आदित्य प्रताप सिंहदेव की पत्नी रानी पद्मिनी की 125 वीं जयंती पर उन्हें समर्पित किया गया है. उन्होंने बताया कि 10 अप्रैल को शुभ घट निकलने के पश्चात छऊ नृत्य करने की परंपरा है. 10 अप्रैल को छऊ के दुर्लभ चित्रों की प्रदर्शनी लगायी जायेगी तथा छात्रों के बीच छऊ पर चित्रांकन प्रतियोगिता होगी. 11 व 12 अप्रैल को ग्रामीण छऊ दलों की नृत्य प्रतियोगिता व श्रीकलापीठ के कलाकारों द्वारा छऊ नृत्य प्रदर्शनी का आयोजन किया जायेगा. 13 अप्रैल को रात भर श्रीकलापीठ के कलाकार नृत्य प्रस्तुत करेंगे. इसके बाद समापन समारोह में नृत्य दलों को पुरस्कृत किया जायेगा.