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मंडलकारा में विचाराधीन कैदी की बिगड़ी तबीयत, सदर अस्पताल में मौत

परिजनों ने जेल प्रशासन पर जेल में बंदी के साथ मारपीट करने का लगाया आरोप

साहिबगंज. नगर थाना कांड संख्या 27/2023 में दस दिनों पूर्व व्यवहार न्यायालय में आत्मसमर्पण करने वाले साहिबगंज के कुलीपाड़ा निवासी मो असलम अली उर्फ भोलू (50) की गुरुवार की शाम साहिबगंज मंडल कारा में तबीयत बिगड़ने पर मंडलकारा प्रशासन ने उसे एंबुलेंस से सदर अस्पताल लाया, जहां चिकित्सक डॉ तबरेज आलम ने मो असलम अली उर्फ भोलू को मृत घोषित कर दिया. वहीं मामले की जानकारी मिलते ही मो असलम अली उर्फ भोलू के परिवार वाले सहित सैकड़ों लोग सदर अस्पताल पहुंच गये. मो असलम को मृत देख परिवार वाले दहाड़ मारकर रोने लगे. मृतक की पत्नी सुल्ताना बीबी ने बताई कि कुलीपाड़ा में 2023 में चैती दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई पत्थर बाजी की घटना में मेरा पति व पुत्र को बेवजह फंसा दिया गया. पुलिस की ओर से परेशान किये जाने के कारण मजबूरी में मेरे पति व पुत्र ने दस दिनों पूर्व साहिबगंज व्यवहार न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया था. आत्मसमर्पण करने के पहले मेरे पति ने हमसे कहा था कि हम जा रहे हैं. तुम ठीक से रहना. दवा समय पर लेते रहना. दो दिनों पूर्व मंगलवार को हम उनसे जेल गेट पर जाकर मिले थे. उस समय वह ठीक थे. उन्होंने आरोप लगायी कि जेल प्रशासन ने मारपीट कर मेरे पति को जेल में ही मार डाला है. इसके बाद उसे सदर अस्पताल में लाया, जहां चिकित्सक ने उसे ब्राउड डेड (मृत) घोषित कर दिया. परिजनों ने कहा कि मृतक असलम का शरीर कड़ा था. इससे प्रतीत होता है कि अस्पताल लाने के घंटों पूर्व असलम की मौत हुई है. उन्होंने जिला प्रशासन से मामले की जांच करने की गुहार लगायी है. इधर अस्पताल में परिजन के पहुंचने एवं हंगामा के आसार को देखते हुए जिरवाबाडी थाना प्रभारी अनीश पांडे पुलिस बल के साथ अस्पताल पहुंचे. लोगों को समझाया. जानकारी के अनुसार मेडिकल बोर्ड शव का पोस्टमार्टम करेगा, तभी पता चलेगा की मौत कैसे हुई है. असलम व उसके पुत्र ने किया था आत्मसमर्पण, जांच की मांग साहिबगंज, नगर के कुलीपाड़ा मुहल्ला के सामाजिक कार्यकर्ता मो कासिम उर्फ मुन्ना ने जिला प्रशासन से मो असलम की मौत मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है. उन्होंने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि पुलिस की भूमिका घटना के दिन के बाद से ही कुलीपाड़ा के लोगों के प्रति खराब रही है. बताया कि पिछले वर्ष कुलीपाड़ा में चैती दुर्गा प्रतिमा विसर्जन विसर्जन के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हुई थी. इस मामले को पुलिस ने अलग-तरह के तूल देते हुए बड़े पैमाने पर आम नागरिकों के मानवाधिकार का हनन करते हुए रात में सीढ़ी लगाकर घर में घुसकर छापेमारी की. औरतों के साथ-साथ बूढ़े बुजुर्गों और बच्चों के साथ भी दुर्व्यवहार किया. करीब दो दर्जन लोगों को थाने लाकर मारपीट की और जेल भेजा. उस समय से ही हमलोग जिला प्रशासन व राज्य सरकार से मामले में पारदर्शी जांच और न्याय की गुहार लगाते रहे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आखिरकार असलम पुलिस के दबिश के कारण दस दिनों पूर्व साहिबगंज व्यवहार न्यायालय में आत्मसमर्पण किया, जिसका नतीजा उसे मौत मिली. मौत मामले की पारदर्शी से न्यायिक जांच होनी चाहिए. चिकित्सक ने कहा साहिबगंज. जेल प्रशासन के द्वारा मो असलम को एंबुलेंस से सदर अस्पताल लाये जाने के बाद मैने असलम की जांच की, उनकी मौत सदर अस्पताल लाने के पूर्व ही हो चुकी थी. -डॉ तबरेज आलम, चिकित्सक कहते हैं जेल अधीक्षक जेल अधीक्षक ने कहा कि गुरुवार की दोपहर करीब दो बजे खबर मिली की बंदी की तबीयत अचानक बिगड़ गयी है. हमलोगों ने इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा था. जहां पहुंचने के बाद चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उन्होंने बताया किसी के साथ मारपीट या लड़ाई-झगड़ा की कोई सूचना नहीं है, जो आरोप लगा रहे हैं वह गलत है. चंद्रशेखर सुमन, अधीक्षक, मंडलकारा फोटो नं 23 एसबीजी 56,57,58,59,60 है कैप्सन – गुरूवार को रोते बिलखते परिजन रोते बिलखते परिजन शव जांच करते पुलिस अस्पताल के बाहर लगी भीड

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