Rupa Tirkey Case: रिटायर्ड जस्टिस वीके गुप्ता की एक सदस्यीय जांच आयोग को दारोगा रूपा तिर्की प्रकरण में हत्या का कोई सबूत नहीं मिला. रिपोर्ट में रूपा तिर्की द्वारा फांसी लगाने की घटना को मानसिक तनाव का कारण माना गया है. आयोग की यह रिपोर्ट गुरुवार को संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने सदन के पटल पर रखी.
रिपोर्ट में गवाहों के बयान सहित अन्य सबूतों के आधार पर कहा गया है कि रूपा व दारोगा शिव कुमार कनौजिया के बीच प्रेम संबंध था. रूपा उससेे शादी करना चाहती थी. शादी को लेकर ही दोनों में अक्सर विवाद होता था. हालांकि दोनों का परिवार शादी के लिए सहमत नहीं था. इस वजह से रूपा तनाव में रहती थी. दोनों ही परिवार अंतरजातीय शादी के विरोध में थे.
रूपा व शिव के बीच हुई बातचीत व मैसेज को सुनील नामक एक गवाह ने पुलिस को सौंपा. तीन मई की सुबह 3.19 मिनट व 3.59 मिनट पर दोनों के बीच मैसेज का आदान प्रदान हुआ था. इस मैसेज से रूपा की निराशा का पता चलता है. तीन मई को रूपा का फंदे से लटकता शव मिला था. साहिबगंज पुलिस ने शिव को गिरफ्तार किया था. जांच के दौरान रूपा के माता-पिता ने आयोग के समक्ष अपना पक्ष नहीं रखा था. हाइकोर्ट के आदेश पर फिलहाल मामले की सीबीआइ जांच कर रही है.
इन गवाहों के बयान दर्ज हुए: आयोग ने मामले में गवाह के तौर पर साहिबगंज के एसपी अनुरंजन किस्पोट्टा, इंस्पेक्टर शशिभूषण चौधरी, एएसआइ प्रदीप कुमार की पत्नी रंजना देवी, रूपा तिर्की की चाची सुमन खलखो, मेडिकल बोर्ड के डॉ मोहन पासवान, डॉ रणविजय, डॉ मो इकबाल, दंडाधिकारी संजय कुमार, सिपाही राकेश राउत, एएसआइ प्रिशिला लकड़ा, एसआइ सुनील कुमार, एसआइ उपेंद्र दास, सिपाही ज्योति देवी, इंस्पेक्टर राजेश, एसआइ स्नेलहता सुरीन व एसआइ ज्योत्सना महतो, शिलवंती मुर्मू, ज्योति देवी, शहिदा, संजय व रामनिवास का बयान जांच के दौरान कलमबद्ध किया था.