10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड : गर्मी में इस बार इमरजेंसी जैसी स्थिति का अंदेशा, डॉक्टरों ने छोटे बच्चों को लेकर किया सतर्क

विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन (ग्लोबल वार्मिंग) का जीवन और स्वास्थ्य पर पड़नेवाले असर के बारे में जानकारी दी. इसमें झारखंड जैसे भाैगोलिक बनावट वाले राज्यों की स्थितियों को भी शामिल किया गया.

बिपिन सिंह, रांची : झारखंड में जिस तरह से अप्रैल में गर्मी पड़ रही है, उसे देखते हुए मई व जून में स्थिति असहज हो सकती है. आमतौर पर लू मई और जून महीने में चलती हैं, लेकिन इस बार अप्रैल में ही लू का प्रकोप (हिट स्ट्रोक) जारी है. गर्म हवाओं ने लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. नेशनल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज एंड पब्लिक ह्यूमन हेल्थ (एनपीसीसीएच), नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने गर्म हवाओं से इस बार इमरजेंसी जैसी स्थिति का अंदेशा जता रहे हैं.

शुक्रवार को नयी दिल्ली में देशभर के फिजिशियन, पीडियाट्रिशियन और मेडिकल ऑफिसर्स को लू से निबटने के उपाय बताये गये. आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल, नयी दिल्ली के डॉक्टरों ने खासकर छोटे बच्चों को लेकर सतर्क किया है. दो दिवसीय इस बैठक में विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन (ग्लोबल वार्मिंग) का जीवन और स्वास्थ्य पर पड़नेवाले असर के बारे में जानकारी दी. इसमें झारखंड जैसे भाैगोलिक बनावट वाले राज्यों की स्थितियों को भी शामिल किया गया. बैठक में ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन पर होनेवाले असर के बारे में बताया गया.

Also Read: Jharkhand Weather: झारखंड के इन 7 जिलों का पारा 40 डिग्री के पार, सताएगी चिलचिलाती गर्मी

इसका असर दिन के तापमान में होनेवाली वृद्धि का स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव देखा जा रहा है. इस दौरान वर्ष 1880 से 2023 तक के मौसम में आये परिवर्तनों के आंकड़े पेश किये गये. बताया गया कि पिछले साल 86 दिनों में औसत तापमान के अंदर 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड की बढ़ोतरी दर्ज हुई. वहीं, इस बीच दो दिन ऐसे भी आये, जब यह बढ़ोतरी 02 डिग्री सेंटीग्रेड तक रही.

उपायुक्तों की निगरानी में डिस्ट्रिक टास्क फोर्स का होगा गठन 

अस्पतालों में इस बार इमरजेंसी के हालात हो सकते हैं, इस बात का अंदेशा जताया जा रहा है. इसके लिए हिट रिलेटेड इमरजेंसी के लिए उपायुक्त की निगरानी में डिस्ट्रिक टास्क फोर्स के गठन की जरूरत बतायी गयी है. टास्क फोर्स स्वास्थ्य पदाधिकारियों, सिविल सर्जन और अन्य विभागों के साथ मिलकर काम करेगी. 

अस्पतालों में पहली बार होंगे विशेष कूलिंग वार्ड

भीषण गर्मी के असर के चलते अस्पतालों में हाइपरथर्मिया वाले मरीजों के उपचार के लिए स्पेशल कूलिंग वार्ड तैयार किये जायेंगे. कूलिंग मेथड तकनीक से इन्हें तत्काल उपचार उपलब्ध कराना है. इनमें एडल्ट एंड पीडियाट्रिक मरीजों के फौरन उपचार की व्यवस्था होगी. सरकारी और निजी क्षेत्र के अस्पतालों को मिलकर काम करने को कहा गया है.

बीमार, बुजुर्ग और बच्चों को सुरक्षित रखना लक्ष्य

हीट रिलेटेड इलनेस सर्विलांस के तहत गर्मी से पीड़ित पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों के लिए विशेष व्यवस्था की सलाह दी गयी है. एसी – कूलर चलाने के लिए निर्बाध बिजली आपूर्ति और सुदूरवर्ती इलाकों में हर हाल में सोलर पैनल से बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कराने को कहा गया है.

कौन लोग आ सकते हैं लू की चपेट में :

धूप में ज्यादा समय तक एक्सपोजर वाले, पसीना बहाने वाले, एक्सरसाइज करनेवाले, एथलेटिक्स, मजदूर और ज्यादा समय तक धूप में रहनेवाले लोग, पुलिस और सुरक्षा में तैनात आर्मी के जवान

हिट स्ट्रोक का ज्यादा खतरा इन्हें :

कार्डियोवस्कुलर कोलैप्स, एक्यूट किडनी इंज्यूरी वाले लोग, इसके अलावा एल्कोहल, कोकीन, ड्रग्स, स्नेक बाइट पॉइजनिंग, साइकोटिक मेडिसिन लेनेवाले मरीज.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें