रांची. पुण्य शनिवार के अवसर पर लोयला मैदान में पास्का जागरण की धर्मविधि संपन्न हुई. इस धर्मविधि के मुख्य अनुष्ठक आर्चबिशप विंसेंट आइंद थे जबकि उपदेश सोसाइटी ऑफ जीसस के प्रोविंशियल फादर अजीत खेस ने दिया. इस धर्मविधि के दौरान नयी आग से पास्का मोमबत्ती को प्रज्जवलित करना था. आर्चबिशप ने पास्का मोमबत्ती जलायी. उससे बाकी पुरोहितों व मैदान में उपस्थित विश्वासियों ने भी अपनी-अपनी मोमबत्तियों को प्रज्जवलित किया. इस दौरान लोयला मैदान हजारों मोमबत्तियों की झिलमिलाती ज्योति से रोशन हो उठा.
यीशु का आना मानव जाति के लिए आशा : फादर अजीत खेस
इस अवसर पर उपदेश के दौरान फादर अजीत खेस ने कहा कि हमारे विश्वास का आधार यीशु का जी उठना है. गुड फ्राइडे से लेकर ईस्टर तक की घटना यीशु के दुखभोग, मृत्यु और जी उठने से संबंधित है. पोप जोन पॉल द्वितीय ने कहा था कि वी आर ईस्टर पीपुल अर्थात हम ईस्टर के लोग हैं और अल्ले लुइया हमारा गीत है. ईस्टर को पास्का भी कहते हैं, जिसका अर्थ होता है पार होना. यीशु दुख, मृत्यु से पार हुए. यह विजय का पर्व है इस अर्थ में कि असत्य पर सत्य की विजय हुई. यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है. पास्का मोमबत्ती भी इसी का प्रतीक है. पास्का मोमबत्ती संदर्भित करती है कि यीशु ज्योति के रूप में आये. उनका आना मानव जाति के लिए एक आशा है.गुडफ्राइडे के बाद ईस्टर का आना यह बताता है कि हमारे जीवन में कितना भी दुख, कठिनाई और परेशानी आये उसके बाद ईस्टर अर्थात खुशी, सफलता और आनंद जरूर आयेगा. ईस्टर की आग ईश्वर की उपस्थिति का प्रतीक है. फादर अजीत ने कहा कि हममें से प्रत्येक को एक ज्योति के समान होना है. लोगों को ईश्वर तक पहुंचाना है. प्रेम और क्षमा लोगों के बीच बांटना है. यीशु ने भी हर किसी को यहां तक कि खुद को कष्ट देने वाले और मारनेवालों को भी क्षमा किया था. धर्मविधि के दौरान बाइबल से पाठ पढ़े गये और गीत गाये गये. धर्मविधि के दौरान फादर आनंद खेस सहित अन्य पुरोहितों ने सहयोग किया. इस अवसर पर बड़ी संख्या में धर्मबंधु, धर्मबहनें व आम विश्वासी मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है