रांची. शारदीय नवरात्र में रविवार को मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की पूजा की जायेगी. इसी दिन दुर्गा षष्ठी का व्रत भी होगा. शाम में बेलवरण का अनुष्ठान होगा. इसके बाद मां की जयकारा के साथ पंडालों का पट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया जायेगा. रविवार को सुबह 10:43 बजे तक षष्ठी है, उसके बाद सप्तमी लग जायेगी. मां कात्यायनी की पूजा के बाद बेल वृक्ष की पूजा की जायेगी. शाम में देवी को जगाने के लिए बोधन किया जायेगा, जिसके साथ बेलवरण का अनुष्ठान पूरा होगा. इसी दिन से पंडालों में माता रानी के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ने लगेगी. सोमवार को नवपत्रिका प्रवेश के साथ मां की आराधना शुरू हो जायेगी. रात में 11:36 से 12:13 बजे तक निशिथकालीन अष्टमी मिलने के कारण महानिशा पूजा की जायेगी. मंगलवार 30 सितंबर को महाअष्टमी का व्रत होगा. इसी दिन शाम में अष्टमी युक्त नवमी मिलने के कारण संधि पूजा होगी. इस दिन दोपहर 1:44 बजे तक अष्टमी है, उसके बाद नवमी लग जायेगी. संधि काल में संधि पूजा की जायेगी. एक अक्तूबर को महानवमी की पूजा की जायेगी. इस दिन दोपहर 2:36 बजे तक नवमी है, उसके बाद दशमी लग जायेगी. दशमी तिथि गुरुवार को दोपहर 2:56 बजे तक है. उदयाकालीन दशमी मिलने के कारण इस दिन दशमी का मान रखते हुए विजयादशमी का त्योहार मनाया जायेगा. इसी दिन माता रानी की प्रतिमा का विसर्जन किया जायेगा.
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