अपर बाजार जैन मंदिर में प्रवचन, चक्रवर्ती विवाह की महिमा, होटल के भोजन से बचने और संयमित जीवन जीने पर बल
रांची. दिगंबर जैन संत आचार्य 108 सूरत्न सागर जी महाराज के शिष्य परम पूज्य 108 सुतिर्थ सागर महाराज का प्रवचन शनिवार को भी श्री दिगंबर जैन मंदिर, अपर बाजार में आयोजित हुआ. प्रवचन में उन्होंने बताया कि बच्चों का भविष्य स्वर्णिम बनाने के लिए धर्म और संस्कार सर्वोत्तम माध्यम हैं. इसके लिए आवश्यक है कि प्रारंभ से ही बच्चों को संस्कार दिए जाएं और उन्हें मंदिर जाने, अभिषेक करने और पूजा करने की आदत डाली जाये. महाराज श्री ने विवाह के संदर्भ में भी ‘चक्रवर्ती विवाह’ पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि यह विवाह दिन में होता है और पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न किया जाता है, इसलिए प्रयास होना चाहिए कि इसी प्रकार का विवाह ही किया जाये. होटलों में भोजन करने की आलोचना करते हुए मुनिश्री ने कहा कि अशुद्ध खान-पान मन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, इसलिए भोजन से लेकर व्यवहार तक सभी में सजगता आवश्यक है. अपने गृहस्थ जीवन का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार उनका जीवन वैराग्य की ओर मुड़ गया और जीवन शैली को संयमित ढंग से जीने का महत्व समझाया. उन्होंने सभी से संयमित जीवन अपनाने की अपील की.इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष पूरणमल सेठी, वर्तमान कार्यकारिणी के सदस्य, बाहर से आए अतिथि और अध्यक्ष प्रदीप बाकलीवाल, मंत्री जीतेंद्र छाबड़ा, अरविंद शास्त्री, टिकमचंद छाबड़ा, सुबोध बड़जात्या, मनोज काला, अंकित शास्त्री, सौरभ विनायक्या, राजेश छाबड़ा सहित समाज के अनेक लोग उपस्थित थे. यह जानकारी मीडिया प्रभारी राकेश काशलीवाल ने दी. उन्होंने बताया कि रविवार को भी सुबह सवा आठ बजे से प्रवचन होगा. इसके बाद पिच्छी परिवर्तन का आयोजन किया जायेगा.
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