रांची. कुड़मी को एसटी का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर 20 सितंबर को आदिवासी कुड़मी समाज द्वारा झारखंड, पश्चिम बंगाल व ओडिशा में रेल टेका आंदोलन किया गया था. आंदोलन की सफलता और समाज की भविष्य की योजनाओं को लेकर सोमवार को समाज के मुख्य संरक्षक अजीत प्रसाद महतो ने प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित किया. श्री महतो ने कहा कि कुड़मी जन्मजात आदिवासी हैं. हम केवल एसटी सूची में सूचीबद्ध नहीं हैं. हमारे समाज को हक मिले, इसके लिए छह माह पहले ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा गया था. लेकिन मांगों पर किसी ने संज्ञान नहीं लिया. नतीजा यह हुआ कि कुड़मी समाज के लोगों को रेल पटरी पर उतरना पड़ा. हमारा यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक समाज को उसका हक नहीं मिल जाता. मौके पर शशांक शेखर महतो, दीपक पुनरिआर, छोटेलाल महतो, तालेश्वर महतो सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे.
तीन को जमशेदपुर में केंद्रीय कमेटी की बैठक
श्री महतो ने कहा कि भविष्य के आंदोलन की रूपरेखा को लेकर तीन अक्तूबर को जमशेदपुर में केंद्रीय कमेटी की बैठक होगी. वहीं, पुरुलिया में निर्दोष लोगों पर हुए अत्याचार को लेकर पांच अक्तूबर को आमसभा बुलायी गयी है. इस सभा में झारखंड, बंगाल व ओड़िशा के समाज के लोग भाग लेंगे. श्री महतो ने कहा कि झारखंड, पश्चिम बंगाल व ओडिशा में कुड़मी समाज की आबादी दो करोड़ से अधिक है. लेकिन पिछले 75 सालों से यह समाज अपने हक और अधिकार से वंचित है. हमारी केंद्र और राज्य सरकारों से मांग है कि हमें हमारा हक जल्द-से-जल्द दिया जाये. श्री महतो ने कहा कि रेल टेका आंदोलन को व्यापक सफलता मिली. इसके लिए हमने राज्य के सभी दलों के विधायक, सांसद और मंत्रियों से समर्थन देने की अपील की थी. लेकिन केवल आजसू और जेएलकेएम ने खुलकर समर्थन दिया. ऐसे में जिन नेताओं ने समाज का साथ नहीं दिया, उनका हिसाब किताब राज्य की जनता करेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

