रांची. जो सत्य ज्ञान है उसको सुनो, और जो सुना उस पर विचार, चिंतन, मंथन करो. क्योंकि वही काम आयेगा. शास्त्र कहते हैं कि जब हमारे अंदर क्रोध का वास होता है, तो ज्ञान निकल जाता है. जहां मनुष्य ज्ञान को भूलता है, तो वो पशु जैसा हो जाता है. यह संदेश स्वामी मुकुंदानंद महाराज ने दिये. वे गुरुवार को जगद्गुरु कृपालु योग व अशोक नगर देवालय एवं चिंतन स्थल समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय आध्यात्मिक कार्यक्रम में भक्तों को संदेश दे रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन देवालय मंदिर के सभागार में हुआ है.
आप जहां-जहां जायेंगे, वहां-वहां भगवान विराजमान हैं
स्वामी मुकुंदानंद महाराज ने भगवान के मिलने पर चर्चा करते हुए बताया कि वेद कह रहा है, आप जहां-जहां जायेंगे, वहां-वहां भगवान विराजमान हैं. भगवान हमारे अंदर ही निवास कर रहे हैं, क्योंकि वो संसार में सर्वत्र हैं. जिसे हम बाहर खोज रहे हैं, वो हमारे अंदर बैठे हैं. यदि हमारे अंदर माया का वास है, तो हमें भगवान नहीं मिल रहे हैं. अज्ञान मिटाने के लिए हमारे शास्त्र हैं. अगर हमारे अंदर क्रोध, लोभ, अज्ञान का वास है, तो समझें हमें ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ है. इस अवसर पर स्वामी जी ने भजो मुरली मनोहर नंदलाला…, तेरी कृपा का भरोसा माहरी राधा रानी… भजनों से श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया. इस अवसर पर स्वामी जी की दो पुस्तकों का विमोचन भी हुआ. सत्संग शुरू होने से पहले महाराज जी का पूजन किया गया. आरती के साथ प्रवचन का समापन हुआ. आयोजन में मुकेश कुमार, बीबी मिश्रा, कृष्णा तुलसी आदि योगदान रहा. इसके पहले एयरपोर्ट पर प्रेमचंद श्रीवास्तव, प्रमोद सारस्वत आदि ने महाराज जी का अभिनंदन किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है