रांची. टैगोर हिल रांची में शुक्रवार की शाम फिल्म ””संतोष”” का प्रदर्शन किया गया. फिल्म की सार्वजनिक स्क्रीनिंग झारखंड जनाधिकार महासभा ने की. इसमें सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद्, अधिवक्ता, फिल्म निर्माता और विद्यार्थी आदि शामिल हुए. बता दें कि इस फिल्म को भारत में प्रदर्शन के लिए अनुमति नहीं मिली है. स्क्रीनिंग के बाद आयोजित जनचर्चा में दर्शकों ने पुलिस की बर्बरता, जातिगत भेदभाव और धर्म विशेष के बारे में पूर्वधारणा के बारे में फिल्म में दर्शाएं बिंदुओं पर चर्चा की. आयोजकों ने कहा कि फिल्म संतोष को विदेशों में काफी सराहा गया है, लेकिन भारत के केंद्रीय प्रमाणन बोर्ड ने इसे रिलीज करने की अनुमति नहीं दी है. इसको लेकर आयोजकों व दर्शकों ने सीबीएफसी को फिल्म रिलीज करने की अनुमति देने के लिए संलग्न पत्र भी जारी किया है.
फिल्म संतोष ने पुरानी सोच को कुछ हद तक तोड़ा है
वक्ताओं ने कहा कि समाज में व्यापक जातिगत भेदभाव और छुआछूत छिपाने की सीबीएफसी की कोशिश दयनीय है. पत्र में इस आम जानकारी का भी ज़िक्र है कि फिल्म उद्योग खुद जातिवाद से ग्रस्त है. देश में बननेवाले फिल्मों की कहानियां आमतौर पर अभिजात वर्ग के आरामदायक जीवन के इर्द-गिर्द घूमती हैं. दलित या आदिवासी पात्रों की भूमिकाएं लगभग गौण रहती हैं. उनके वास्तविक जीवन को शायद ही कभी सटीकता, सहानुभूति या सराहना के साथ चित्रित किया जाता है. संतोष ने इस पैटर्न और सोच को कुछ हद तक तोड़ा है. इस अवसर पर ज्यां द्रेज, मेघनाथ, नितेश महतो, फादर टोनी, जसिंता केरकेट्टा, प्रवीर पीटर आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

