RIMS Ranchi: राजधानी रांची में कई ऐसे निजी अस्पताल हैं, जो पहले इलाज के नाम पर मरीजों के परिजनों का आर्थिक रूप से दोहन करते हैं. इसके बाद मरीज की हालत नाजुक होने पर उन्हें गंभीर अवस्था में रिम्स रेफर कर देते हैं. जानकारी के अनुसार, रिम्स पहुंचने वाले अधिकांश मरीज ऐसे होते हैं, जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे होते हैं. निजी अस्पताल तब उन्हें रिम्स रेफर करते हैं, जब मरीज अपने जीवन की अंतिम सांसें गिन रहे होते हैं. इस स्थिति में रिम्स के डॉक्टरों के सामने उनकी जान बचाने की विकट चुनौती खड़ी हो जाती है.
निजी अस्पताल से रेफर 60 मरीज क्रिटिकल केयर विभाग में भर्ती
रिम्स के क्रिटिकल केयर विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, केवल बीते तीन महीनों (फरवरी से अप्रैल तक) में 250 मरीजों को गंभीर अवस्था में भर्ती किया गया. इनमें से 60 मरीज विभिन्न निजी अस्पतालों से रेफर होकर आये थे. इसका मतलब है कि लगभग 25 फीसदी मरीज निजी अस्पताल से रेफर होकर रिम्स पहुंचे. लेकिन रिम्स में गंभीर हालत में आने वाले मरीजों को भी भर्ती करने से मना नहीं किया जाता है.
झारखंड की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
रिम्स में होने वाली मौतों का बढ़ जाता है आंकड़ा
सूत्रों के अनुसार, मरीजों के परिजन सरकारी व्यवस्था का खुद से आंकलन करते हैं. परीजन रिम्स पर विश्वास नहीं होने के कारण सही समय पर मरीजों को अस्पताल नहीं पहुंचाते, जिससे उनकी हालत बिगड़ जाती है. ऐसे में परिजन मरीज के अंतिम समय में उन्हें रिम्स के क्रिटिकल केयर विभाग में भर्ती कराते हैं. साथ ही निजी अस्पताल से रेफर कई मरीज ऐसे होते हैं, जिनके इलाज में लापरवाही बरती जाने के कारण उनकी स्थिति बिगड़ चुकी होती है. लेकिन रिम्स आने पर इसका डायग्नोसिस देर से होता है. निजी अस्पताल से रेफर होकर आने वाले 60 से 70 फीसदी मरीजों की हालत इतनी खराब होती है कि रिम्स में इलाज के दौरान उनकी मौत हो जाती है. इन कारणों से रिम्स में होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ जाता है.
इसे भी पढ़ें
Murder in Bokaro: बेरमो में गोली मारकर व्यक्ति की हत्या, घटनास्थल पर पहुंचे विधायक जयराम महतो
Ranchi Nagar Nigam Action: मोरहाबादी में देर रात चला बुलडोजर, अतिक्रमण हटाने पर दुकानदारों का हंगामा
Pink City Bus Ranchi: पिंक सिटी बस सेवा पड़ी फीकी, आम बसों में सफर करने को मजबूर महिलायें