रांची. चैती छठ महापर्व के तीसरे दिन गुरुवार को व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ दिया. शाम में मौसम खराब होने के कारण भगवान सूर्य का दर्शन नहीं हुआ, लेकिन भक्तों ने निर्धारित समय पर अर्घ दिये. इससे पूर्व छठ घाट पहुंच कर व्रतियों ने स्नान-ध्यान किया और नदी, जलाशय और तालाबों में खड़ा होकर भगवान सूर्य का ध्यान किया और अर्घ दिये. इसके बाद व्रती घर लौटे.
केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके…
इस अवसर पर केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके…हो करेलु छठ बरतिया झांके ऊंके… हम तोसे पूछी बरतिया ऐ बरितया से केकरा लागी … , पहिले पहिल हम कइनी छठी मइया व्रत तोहार करिहा क्षमा छठी मइया, भूल-चूक गलती हमार…, मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय…जे नारियर जे फरेला खबद से ओह पर सुगा मेड़राए मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए …जैसे पारंपरिक छठ गीत गूंजते रहे. कई व्रतियों ने अपने घरों में बने कृत्रिम घाट में भगवान सूर्य को अर्घ दिया. इधर, गुरुवार सुबह स्नान-ध्यान के बाद व्रतियों ने प्रसाद तैयार करने का कार्य आरंभ किया. दोपहर तक उन्होंने प्रसाद तैयार कर लिया. इसके बाद व्रतियों ने डाला और सूप सजाया और छठ घाट की ओर प्रस्थान किया.बजरी लुटायी जायेगी, प्रसाद वितरण होगा
शुक्रवार प्रातः व्रती उदयाचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ अर्पित करेंगे. इसके बाद परिवार के अन्य सदस्य भी अर्घ देंगे. अर्घ समर्पण के बाद व्रती और परिवार के सदस्य हवन करेंगे. बजरी लुटायी जायेगी. प्रसाद वितरण होगा. फिर सभी व्रती घर लौटेंगे और मार्ग में पड़ने वाले विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करेंगे. वहीं घर में भी भगवान की पूजा होगी और व्रत के दौरान हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा-याचना की जायेगी. व्रती प्रसाद ग्रहण करेंगे. इसी के साथ 36 घंटे का कठोर व्रत का विधिवत संपन्न हो जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है