Ranchi University Seminar: रांची-रांची विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ शशि कपूर प्रसाद ने रिसर्च (अनुसंधान) की मूल अवधारणाओं, विधियों और चरणों को स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी भी शैक्षणिक क्षेत्र में सशक्त और प्रामाणिक शोध कार्य के लिए अनुसंधान पद्धति की गहन समझ अत्यंत आवश्यक है. आज के प्रतिस्पर्धात्मक और ज्ञान-आधारित युग में गुणवत्तापूर्ण शोध (क्वालिटी रिसर्च) से ही किसी संस्थान और शोधकर्ता की पहचान बनती है. वह शनिवार को रांची के गोस्सनर कॉलेज में आईक्यूएससी के तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. वह मौके पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे.
सेमिनार में नैतिक शोध पर दिया गया जोर
रांची विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ शशि कपूर प्रसाद ने शोध विषय के चयन से लेकर हाइपोथेसिस निर्माण, डाटा संग्रहण की विधियां, सांख्यिकीय विश्लेषण तथा निष्कर्ष निकालने तक की प्रक्रिया को व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से समझाया. इसके साथ ही उन्होंने नैतिक शोध (Ethical Research) की आवश्यकता और महत्व पर बल दिया. सत्र के दौरान उपस्थित शिक्षकों ने भी अपने अनुभव साझा किए और छात्रों ने उत्सुकतापूर्वक प्रश्न पूछे, जिनका समाधान सरल और सटीक ढंग से किया.
प्रो इलानी पूर्ति ने बताया रिसर्च मेथडोलॉजी का महत्व
गोस्सनर कॉलेज की प्राचार्या प्रो इलानी पूर्ति ने सेमिनार में अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने ‘रिसर्च मेथडोलॉजी’ (अनुसंधान पद्धति) के महत्व पर प्रकाश डाला. इस सत्र में रांची विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ-साथ शिक्षकों की भी सक्रिय भागीदारी रही. इस आयोजन ने विद्यार्थियों को अनुसंधान के क्षेत्र में नई दिशा प्रदान की और उन्हें गंभीरता से शोध कार्य में संलग्न होने के लिए प्रेरित किया. धन्यवाद ज्ञापन आईक्यूएससी के को-ऑर्डिनेडर डॉ अजय कुमार ने किया. मौके पर महाविद्यालय के बर्सर प्रो प्रवीण सुरीन तथा तीनों संकाय के फैकल्टी इंचार्ज सहित काफी संख्या में प्राध्यापक और विद्यार्थी मौजूद थे.
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