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Political news : डीजीपी की नियुक्ति अवैध, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन : बाबूलाल

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने अनुराग गुप्ता के कार्यकाल की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की.

रांची. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने डीजीपी की नियुक्ति पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता को धोखे में रखकर हेमंत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुलेआम उल्लंघन किया है. राज्य सरकार ने न सिर्फ संविधान की मर्यादाओं को तोड़ा है, बल्कि राज्य की पुलिस प्रशासन व्यवस्था को भी अपनी राजनीतिक साजिशों का हथियार बना लिया है. प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री मरांडी ने डीजीपी की नियुक्ति को रद्द करने व अनुराग गुप्ता के कार्यकाल की सीबीआइ जांच कराने की मांग की. उन्होंने हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करने व सुप्रीम कोर्ट के अवमानना मामले में राज्य सरकार के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

हेमंत सरकार ने यूपीएससी को दरकिनार कर अपनी मर्जी चलायी

श्री मरांडी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 में प्रकाश सिंह केस की सुनवाई करते हुए निर्देश दिया था कि डीजीपी की नियुक्ति यूपीएससी के अनुशंसित पैनल से होगी. फिर भी हेमंत सरकार ने यूपीएससी को दरकिनार कर अपनी मर्जी से अनुराग गुप्ता को डीजीपी बना दिया. उनका नाम यूपीएससी की अनुशंसित सूची में नहीं था. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि जब तक राज्य सरकार कोई नया कानून नहीं बनाती, तब तक यूपीएससी की प्रक्रिया से ही नियुक्ति होगी. लेकिन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर समझने लगे. उन्हें कार्यकारी आदेश (एग्जीक्यूटिव ऑर्डर) और अधिनियम (एक्ट) में अंतर पता नहीं है. श्री मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार ने 2025 में एक नियमावली (रूल्स) बनायी, जबकि अधिनियम पारित नहीं हुआ. कोई भी सरकार पहले एक्ट बनाती है, तब वह रूल्स बनता है. यदि एक्ट पारित नहीं हुआ, तो रूल्स कैसे बन गया.

सरकार ऐसे पदाधिकारी को महत्वपूर्ण जिम्मेवारी देकर उन्हें बचाना चाहती है

यहां सवाल उठता है कि राज्य सरकार ने 2025 की नियमावली को भूतलक्षी प्रभाव से लागू करने की कोशिश क्यों और कैसे की? राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस अवैध प्रक्रिया को कैसे अनुमति दी? उन्होंने कहा अनुराग गुप्ता चुनावी कदाचार में लिप्त थे. दो वर्षों तक निलंबित भी रहे हैं. इनके खिलाफ एफआइआर तक दर्ज हुई. उन्हें चुनाव कार्य से भी मुक्त रखा गया था. फिर हेमंत सरकार ने ऐसे भ्रष्ट, दागदार और विवादास्पद पदाधिकारी को डीजीपी क्यों बनाया? क्या हेमंत सरकार ऐसे पदाधिकारी को महत्वपूर्ण जिम्मेवारी देकर उन्हें बचाना चाहती है? श्री मरांडी ने कहा कि भाजपा झारखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने और राज्य में कानून का राज स्थापित करने के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी.

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