रांची. राज्य में चलाये जा रहे नक्सल अभियान के दौरान और अधिक सफलता मिले, इसके लिए राज्य के 70 हजार पुलिस अफसर सहित जवानों को पहली बार एक साथ यह बताया गया कि कौन नक्सली आपके प्रमुख दुश्मन हैं. दुश्मनों की हिटलिस्ट में भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के पोलित ब्यूरो मेंबर और कोल्हान क्षेत्र में सक्रिय मिसिर बेसरा का नाम शामिल है. इसके अलावा प्रयाग मांझी, असीम मंडल, अनल दा, नितेश सहित अन्य नक्सलियों के नाम शामिल हैं. दुश्मनों के बारे में दो बुकलेट तैयार कर सभी पुलिसकर्मियों को उपलब्ध कराया गया है. एक बुकलेट में चाईबासा, खूंटी, गुमला और लोहरदगा के नक्सलियों के बारे में प्रोफाइल तैयार कर उनके बारे में जानकारी दी है. जबकि दूसरे बुकलेट में गढ़वा, लातेहार, चतरा और पलामू जिला के नक्सलियों और इनके स्पिलिंटर ग्रुप के बारे में जानकारी दी गयी है. नक्सलियों के बयान के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार कर सभी को उपलब्ध कराया गया है. जिसके आधार पर पुलिस को यह भी बताया गया कि नक्सली कौन सा यूट्यूब चैनल देखते हैं, क्या किताब पढ़ते हैं और कौन इसे तैयार करता है. रिपोर्ट के आधार पर यह भी जानकारी दी गयी कि पहले नक्सलियों का संगठन बीजे सैक (बिहार- झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी) था. इसका सचिव सेंट्रल कमेटी मेंबर अनल था. अब यह संगठन दो भागों में बंट चुका है. एक का नाम रखा गया है बीआरसी अर्थात बिहार रीजनल कमेटी. इसका सचिव अजीत उरांव है. दूसरा है जेआरसी अर्थात झारखंड रिजनल कमेटी मेंबर. इसका सचिव अजय महतो है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कोल्हान और सारंडा नक्सलियों के छिपने का सबसे सुरक्षित जोन है. जबकि चक्रबंधा, पारसनाथ पहाड़ और लुगु पहाड़ और अब सुरक्षित नहीं रहा. पुलिस अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व में डीजीपी के स्तर से चलाये जा रहे नक्सल अभियान की समीक्षा की गयी थी. जिसमें एक प्रमुख मुद्दा था नो योर इनेमी. अर्थात सभी पुलिसकर्मियों को अपने दुश्मन नक्सली के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, ताकि नक्सल अभियान के दौरान अधिक से अधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके. इसे तैयार कर उपलब्ध कराने का जिम्मा स्पेशल ब्रांच को दिया गया था, जिसके आधार पर उक्त कार्रवाई की गयी है.
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