Pahari Mandir: रांची, राजकुमार लाल-झारखंड के लोगों की आस्था का प्रतीक पहाड़ी मंदिर की दीवारों में दरारें आ गयी हैं. यह दरारें मामूली सी दिखती हैं, लेकिन बरसात के दिनों में इससे पहाड़ी मंदिर के अंदर पानी रिसता है. इससे मंदिर के साथ-साथ पहाड़ी को भी नुकसान हो रहा है, लेकिन इन दरारों को पाटने की दिशा में कोई कार्य नहीं किया जा रहा है. रिसाव के कारण मंदिर के अंदर का छज्जा भी टूट रहा है. दुर्गा मंदिर और नाग देवता के मंदिर का भी छज्जा टूट रहा है. मंदिर में आग से बचाव के उपाय भी नहीं हैं. अग्निशमन यंत्र नहीं लगा हुआ है.
क्यों हुआ यह हाल?
पहाड़ी मंदिर के शीर्ष पर बारिश का पानी तो गिरता है, लेकिन उसकी निकासी की व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण पानी ऊपर से पूरी तरह से नीचे नहीं उतर पाता है. इस कारण यह छत के किनारे-किनारे से रिसता है. मंदिर के जानकारों का कहना है कि लंबे समय से इस ओर ध्यान नहीं दिये जाने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है.
नौ साल से खड़ा है खंभा
पहाड़ी मंदिर में तिरंगा फहराने के लिए लगाया गया पोल लगभग नौ साल से यूं ही खड़ा है. यह शोभा की वस्तु बनकर रह गया है. 24 जनवरी 2016 को तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने तिरंगा फहराकर इसका उद्घाटन किया था. कुछ साल बाद यहां झंडा फहराना बंद हो गया. तब से यह पोल यूं ही खड़ा है.
गार्ड वॉल बनाने का काम अब तक पूरा नहीं
पहाड़ी मंदिर में मिट्टी को गिरने से रोकने के लिए गार्ड वॉल का निर्माण कार्य किया जा रहा था, जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है. इस कारण बारिश के दिनों में ऊपर से मिट्टी का कटाव होता है और वह मिट्टी धीरे-धीरे नीचे आ जा रही है. इससे पहाड़ी व पेड़-पौधों को नुकसान हो रहा है. एक साल से पहाड़ी मंदिर परिसर में टीओपी भवन बनकर तैयार हो गया है, लेकिन आज तक इसका उद्घाटन नहीं हुआ है.
10 एकड़ पर अतिक्रमण
रांची पहाड़ी लगभग 27 एकड़ में फैली हुई है. इसमें से लगभग 10 एकड़ पर अतिक्रमण किया हुआ है. कई बार इसे खाली कराने का प्रयास किया गया, लेकिन अब तक खाली नहीं कराया जा सका.
मंदिर के जीर्णोद्धार का काम पूरा नहीं
आज तक मंदिर के जीर्णोद्धार का काम पूरा नहीं हो पाया है. वर्ष 2015 में पहाड़ी मंदिर परिसर स्थित मुख्य हॉल को तोड़ा गया था. उसके बाद निर्माण शुरू करने को लेकर हजारों टन लोहा से लेकर अन्य सामग्री की व्यवस्था की गयी थी, लेकिन विवाद के कारण इसका निर्माण शुरू नहीं हो पाया. इस कारण से उक्त स्थल से धीरे-धीरे काफी मात्रा में लोहा सहित अन्य सामग्री गायब हो गयी.
जलमीनार का रखरखाव ठीक नहीं
पहाड़ी मंदिर स्थित जलमीनार भी रखरखाव के अभाव में जर्जर हो रही है. जलमीनार की बाहरी दीवार पर भी दरार पड़ने लगे हैं. वहीं, कर्मियों का आवास भी जर्जर हो गया है. इस कारण लंबे समय से यह खाली पड़ा हुआ है. वहीं, पहाड़ी मंदिर के ऊपरी तल्ले पर स्थित शौचालय की स्थिति भी खराब हो गयी है.
पूजा के फूल से खाद बनाने का काम ठप
पूजा के फूल से खाद बनाने का काम भी अधूरा पड़ा है. इस कारण हर दिन यहां चढ़ने वाले फूल व बेलपत्र को कचरा में फेंक दिया जा रहा है. जबकि, यहां खाली पड़ी जमीन पर इससे खाद बनाने का काम शुरू होना था. वहीं, डस्टबिन के अभाव में लोग पूजन सामग्री को इधर-उधर फेंकने को मजबूर हैं.
यज्ञशाला बनाने के लिए पेड़ काटने की तैयारी
पहाड़ी मंदिर परिसर में यज्ञशाला बनाने के लिए पेड़ काटने की तैयारी की जा रही है. जानकारों ने कहा कि कुछ पेड़ कटे भी हैं. उनका कहना है कि खाली जगहों पर इसका निर्माण होना चाहिए.
सीढ़ी हो गयी है जर्जर
पहाड़ी मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से चढ़ने वाली सीढ़ी जर्जर हो गयी है. इससे श्रद्धालुओं को चढ़ने में परेशानी होती है. वहीं, जगह-जगह बैठने के लिए बेंच का भी अभाव है. इससे महिलाओं व बुजुर्गों को दिक्कत होती है. इनके लिए लंबे समय से लिफ्ट लगाने की तैयारी चल रही है, लेकिन आज तक पूरी नहीं हुई.
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