रांची. छोटानागपुर लॉ कॉलेज रांची में आयोजित प्रथम एमएम बनर्जी राष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता में एनयूएसआरएल रांची विजेता बना. वहीं, दिल्ली विवि को उपविजेता घोषित किया गया. 21 से 23 नवंबर तक चली मूट कोर्ट प्रतियोगिता में प्रतिभागी कई मामलों पर जिरह करते दिखे. एनयूएसआरएल रांची की अदिति वर्मा, इलाही सिंह और सुहानी सुगंधा विजेता घोषित किये गये. जबकि दिल्ली विवि टीम की ओर से निकिता सिंह, पूजा कुमारी और दीक्षा पांडे उपविजेता बनीं. सेमीफाइनल मुकाबलों में दिल्ली विवि, एनयूएसआरएल रांची, सरला बिरला विवि और उषा मार्टिन विवि की टीमों ने जगह बनायी. इसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए दिल्ली विवि और एनयूएसआरएल रांची फाइनल में पहुंचे. इस प्रतियोगिता में देशभर के 16 राज्यों की 32 टीमों ने भाग लिया. फाइनल मुकाबले का मूल्यांकन झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति डॉ एसएन पाठक, राज्य के अपर महाधिवक्ता जयप्रकाश और वरिष्ठ अधिवक्ता रूपेश सिंह ने किया. प्रतिभागियों ने विधि के जटिल बिंदुओं पर प्रभावशाली बहस प्रस्तुत की.
प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया
समापन समारोह में झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी ने विजेता टीम को ट्रॉफी और 30,000 की पुरस्कार राशि दी. वहीं, उपविजेता दिल्ली विवि की टीम को न्यायमूर्ति दीपक रोशन ने ट्रॉफी एवं 25,000 रुपये का पुरस्कार दिया. इसके अलावा एनयूएसआरएल रांची के अभिनव, जिन्हें पूर्व न्यायमूर्ति डॉ एसएन पाठक ने 15,000 और ट्रॉफी प्रदान की. जबकि, उषा मार्टिन विवि की छात्रा श्रंखला को उत्कृष्ट वक्ता का पुरस्कार दिया गया. उन्हें रांची विवि के कुलपति प्रो डीके सिंह ने 15,000 और ट्रॉफी भेंट की.मूट कोर्ट विधिक कौशल का मजबूत आधार है
न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी ने एमएम बनर्जी के योगदान को याद करते हुए मूट कोर्ट प्रतियोगिताओं को विधि छात्रों के भविष्य निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि न्यायाधीश और अधिवक्ता दोनों प्रतिदिन सीखते हैं. मूट कोर्ट केवल एकेडमिक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और विधिक कौशल का मजबूत आधार है.अथक परिश्रम और सतत अध्ययन अनिवार्य
न्यायमूर्ति दीपक रोशन ने कहा कि विधि व्यवसाय में सफलता के लिए अथक परिश्रम और सतत अध्ययन अनिवार्य है. अधिवक्ता जीवनभर विद्यार्थी ही रहता है. वहीं, पूर्व न्यायमूर्ति डॉ एसएन पाठक ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद छात्रों की प्रस्तुतियों ने उन्हें वास्तविक बहस की अनुभूति करायी है. उन्होंने छात्रों को आत्मविश्वास से बहस करने की प्रेरणा दी और कहा कि जीत-हार नहीं, बल्कि सीख ही सबसे बड़ी उपलब्धि है. रांची विवि के कुलपति प्रो डीके सिंह ने प्रतियोगिता की सफलता का श्रेय कॉलेज के प्राचार्य प्रो डॉ पंकज कुमार चतुर्वेदी और उनकी टीम को दिया.साहस विकसित करने में मूट कोर्ट की भूमिका अहम
झारखंड उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ की अध्यक्ष रितु कुमार ने झारखंड के प्रथम महाधिवक्ता एमएम बनर्जी के योगदान को याद करते हुए कहा कि विधि के विद्यार्थियों में वास्तविक न्यायालय प्रक्रिया की समझ और साहस विकसित करने में मूट कोर्ट की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

