रांची. रिम्स में कैंसर मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, लेकिन रिम्स में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट नहीं हैं. ऐसे में राज्य के विभिन्न जिलों से आनेवाले कैंसर मरीजों को रिम्स में कैंसर सर्जन और रेडिएशन के विशेषज्ञ डॉक्टर परामर्श देते हैं. जानकारी के अनुसार, रिम्स के कैंसर ओपीडी में एक महीना में औसतन 275 मरीजों को परामर्श दिया जाता है. परेशानी तब बढ़ जाती है, जब कैंसर सर्जन ऑपरेशन में रहते हैं या रेडिएशन के विशेषज्ञ डॉक्टर मरीजों का इलाज करते रहते हैं. ऐसे में परामर्श लेने आये मरीजों को इंतजार करना पड़ता है. हालांकि मरीजों की परेशानी को कम करने का प्रयास किया जाता है, लेकिन राहत नहीं मिल पाती है.
नियुक्ति के बाद सेवा छोड़ कर चले गये ऑन्कोलॉजिस्ट
रिम्स के कैंसर विंग में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट की नियुक्ति की गयी थी, लेकिन कुछ दिन सेवा देने के बाद वह रिम्स छोड़ कर चले गये. इसके बाद वर्ष 2020 से मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट का पद खाली है. यहां प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफसर और असिस्टेंट प्रोफसर के पद पूरी तरह खाली हैं. वहीं, विज्ञापन निकालने के बाद भी मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट नहीं मिल रहे हैं. इधर, राज्य में तंबाकू या इसके उत्पाद के उपयोग की वजह से ओरल कैंसर वाले मरीजों की संख्या सबसे अधिक है. ऐसे में जागरूकता और समय पर स्क्रीनिंग के साथ-साथ विशेषज्ञ डॉक्टरों को नियुक्त करना जरूरी है.
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